लखवी की रिहाई से चिंतित: अमरीका
- ब्रजेश उपाध्याय
- बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन डीसी
अमरीकी विदेश विभाग ने ज़की उर रहमान लखवी को पाकिस्तान की जेल से रिहा किए जाने के फ़ैसले पर गहरी चिंता जताई है.
विदेश विभाग के प्रवक्ता जेफ़ राथके ने कहा है कि अमरीका पिछले कई महीनों से इस बारे में अपनी चिंता पाकिस्तान के उच्च अधिकारियों के सामने प्रकट कर चुका है और गुरुवार को भी इस बारे में उनकी पाकिस्तान से बात हुई है.
उनका कहना था कि पाकिस्तान ने वायदा किया था कि मुंबई हमलों में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी.
उन्होंने कहा, "हमारी पाकिस्तान से गुज़ारिश है कि वो अपने वायदे पर अमल करें जिससे मुंबई हमलों में मारे गए 166 निर्दोष लोगों को, जिनमें छह अमरीकी भी थे, इंसाफ़ मिल सके."
एक अरब डॉलर की मदद
लखवी अमरीकी विदेश विभाग की तरफ़ से जारी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में भी शामिल हैं.
इसी हफ़्ते विदेश विभाग ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान को लगभग एक अरब डॉलर के हेलीकॉप्टर और हथियार बेचे जाने के लिेए हरी झंडी दी थी.
पत्रकारों के ये पूछने पर कि क्या लख़वी की रिहाई से अमरीका के फ़ैसले में कोई तब्दीली आएगी, तो प्रवक्ता का कहना था, "अभी इस मामले को कुछ ही घंटे हुए हैं और हम इस पर ग़ौर कर रहे हैं कि इसका क्या मतलब निकाला जाए. इसके आगे फ़िलहाल हम कुछ नहीं कह सकते."
'मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड'
भारत लखवी को 2008 में हुए मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड मानता है जिनमें 166 लोग मारे गए थे.
लखवी को पिछले साल दिसंबर में ज़मानत मिली थी, लेकिन पंजाब सरकार ने एक क़ानून के तहत लखवी की नज़रबंदी को जारी रखने का फैसला किया था.
लेकिन लाहौर हाईकोर्ट ने लखवी की नज़रबंदी को गलत ठहराया था और उनकी रिहाई के आदेश दिए थे. लखवी को पाकिस्तान ने 7 दिसंबर 2008 को गिरफ़्तार किया था.
पेशावर के स्कूल पर हुए हमलो के बाद पाकिस्तान ने एलान किया था कि सभी चरमपंथियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी और अमरीका ने उस एलान का स्वागत करते हुए कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि इसमें हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों को भी निशाना बनाया जाएगा.