मोहम्मद यूनुस थे पहले 'प्रधानमंत्री'!

  • मनीष शांडिल्य
  • पटना से, बीबीसी हिन्दी के लिए
मोहम्मद यूनुस

इमेज स्रोत, Other

इमेज कैप्शन, मोहम्मद यूनुस अपने रिश्तेदार मुज़्ज़फ़र इमाम के साथ लंदन में.

भारत की आज़ादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बने, लेकिन आज़ादी से पहले भी देश में कई प्रधानमंत्री हुए.

उनमें से पहले प्रधानमंत्री थे मोहम्मद यूनुस. ये बिहार के प्रधानमंत्री थे. अब आप सोच रहे होंगे कि बिहार में प्रधानमंत्री का पद कैसे?

1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट’ पारित किया था.

इतिहासकार और खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर डॉक्टर इम्तियाज़ अहमद बताते हैं, "एक्ट में प्रधानमंत्री का पदनाम प्रांतीय सरकार के प्रधान के लिए था, लेकिन व्यवहार में वो पद वही था जो आज मुख्यमंत्री का है."

पढ़ें, विस्तार से

मोहम्मद यूनुस

इमेज स्रोत, KASHIF YUNUS

इम्तियाज़ अहमद कहते हैं, "इस एक्ट के तहत 1937 में भारत में प्रांत स्तर पर चुनाव हुए. इस चुनाव में बिहार सहित सभी प्रांतों में कांग्रेस की भारी बहुमत से जीत हुई."

तब प्रांतीय सरकार में गवर्नर के हस्तक्षेप के सवाल पर कांग्रेस ने सभी जगह सरकार बनाने से इनकार कर दिया था.

अहमद बताते हैं कि कांग्रेस के इनकार के बाद बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस ने सरकार बनाई.

यूनुस से साथ और तीन लोग भी सरकार का हिस्सा बने थे जिसमें दो ग़ैर-मुस्लिम थे.

एक अप्रैल, 1937 को वे बिहार ही नहीं सभी प्रातों में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले पहले शख्स बने. यूनुस 19 जुलाई 1937 तक अपने पद पर रहे.

कांग्रेस से अलग

मोहम्मद यूनुस

इमेज स्रोत, KASHIF YUNUS

इमेज कैप्शन, मोहम्मद यूनुस (बाएं से तीसरे)

यूनुस का जन्म 4 मई 1884 को बिहार में पटना के करीब पनहरा गांव में हुआ था. उनके पिता मौलवी अली हसन मुख्तार मशहूर वकील थे और उन्होंने लंदन से वकालत पढ़ी थी.

यूनुस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में वे महात्मा गांधी की असहयोग नीति और दूसरे राजनीतिक कारणों से कांग्रेस से अलग हो गए.

फिर उन्होंने 1937 के चुनाव के समय मौलाना सज्जाद के साथ मिलकर मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी बनाई.

आज़ादी के बाद बने किसान मजदूर प्रजा पार्टी के गठन में भी मोहम्मद यूनुस ने अहम भूमिका निभाई थी.

1952 में 13 मई को मोहम्मद यूनुस का इंतकाल हुआ.

चार माह का कार्यकाल

मोहम्मद यूनुस

इमेज स्रोत, KASHIF YUNUS

सामाजिक-राजनीतिक योगदान के आधार पर भूतपूर्व सांसद और वरिष्ठ राजनीतिज्ञ शिवानंद तिवारी मोहम्मद यूनुस को एक स्टेट्समैन करार देते हैं.

शिवानंद कहते हैं, "अपने चार महीने के कार्यकाल में यूनुस ने आश्चर्यजनक कार्य किए. उन्होंने ज़मीन और किसानों की समस्याएं सुलझाने और क़ौमी एकता बनाने रखने में विशेष पहल की. साथ ही उन्होंने बिहार विधानमंडल और पटना हाईकोर्ट जैसी इमारतों की नींव भी रखी."

एक वकील और राजनेता के साथ-साथ यूनुस एक सफल उद्यमी, बैंकर और प्रकाशक भी थे. उनके द्वारा पटना में बनाया गया ग्रैंड होटल तब के बिहार का पहला आधुनिक होटल था.

इसी होटल के एक हिस्से में मोहम्मद यूनुस रहा करते थे. साथ ही तब यह होटल उस दौर का महत्त्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र हुआ करता था.

यूनुस के परपोते और बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस मेमोरियल कमेटी के अध्यक्ष क़ासिफ़ यूनुस बताते हैं, "ग्रैड होटल में ठहरने वालों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, मौलाना आज़ाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे बड़े नेता शामिल थे."

उपेक्षा

बिहार विधानसभा की वेबसाइट

इमेज स्रोत, BIHAR VIDHAN SABHA WEBSITE

युनूस के परिजनों और शिवानंद तिवारी जैसे राजनेताओं का मानना है कि आज़ाद भारत में, ख़ासकर सरकार के स्तर पर मोहम्मद यूनुस को वैसा सम्मान और पहचान नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थे.

जैसा कि क़ासिफ़ यूनुस कहते हैं, "आज़ादी के पहले के रिकार्ड्स में तो उनके नाम हैं, लेकिन बाद में सरकारी अभिलेखागारों से भी उनका नाम हटा दिया गया."

क़ासिफ़ के मुताबिक़ यह एक ‘अपराध’ है. ऐसा इस कारण भी हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद लंबे समय तक बिहार में ऐसी सरकारें रहीं, जिनकी विचारधारा यूनुस की राजनीतिक विचारधारा से अलग थीं.

हालाँकि हाल के वर्षों में यूनुस के योगदान को सरकारी स्तर पर स्वीकार करने की शुरुआत हुई है.

सम्मान

नीतीश कुमार

इमेज स्रोत, KASHIF YUNUS

2013 से यूनुस की जयंती राजकीय सम्मान के साथ आयोजित की जाती है. इसकी घोषणा 2012 में बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी.

लेकिन अब भी यूनुस कई जगहों पर उपेक्षित दिखाई देते हैं, जैसे कि बिहार विधानसभा की वेबसाइट.

वेबसाइट पर मौजूद बिहार के प्रीमियर और मुख्यमंत्रियों की सूची मोहम्मद यूनुस नहीं, बल्कि उनके ठीक बाद बिहार के प्रधानमंत्री बनने बाले श्रीकृष्ण सिंह से शुरू होती है.

इस ओर ध्यान दिलाने पर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदयनारयण चौधरी कहते हैं, "यूनुस के बारे में जानकारी एकत्र कर जल्द ही इस सूची को ठीक करने की दिशा में पहल की जाएगी."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)