4 बार के चैंपियन को हराने वाला नौजवान

  • राखी शर्मा
  • बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

मोटो रेसिंग भारत में बहुत प्रचिलित नहीं है, फिर भी कुछ लोग इसमें अपनी किस्मत आज़माने का जोख़िम उठाते हैं.

उनमें से एक हैं मुंबई के 16 साल के जेहान दारुवाला.

जेहान फ़ॉर्मूला वन ड्राइवर बनना चाहते हैं और फॉर्मूला कार-टेस्टिंग में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं.

पिछले साल जर्मन नेशनल कार्टिंग चैम्पियनशिप में भारत के लिए गर्व महसूस करने वाला लम्हा था.

उस वक्त भारत के 15 साल के जूनियर ड्राइवर जेहान दारुवाला ने अभ्यास रेस में हिस्सा लिया और फॉर्मूला वन के चार बार के चैम्पियन जर्मन ड्राइवर सेबेस्टियन वेटल को पछाड़ने में कामयाब रहे.

जेहान अब कार्टिंग से कार टेस्टिंग में जगह बना चुके हैं. इस सीज़न में उन्हें फ़ोर्टेक टीम का साथ मिला है, जिसके साथ वो अपनी पहली रेस में 11 अप्रैल को हिस्सा ले रहे हैं.

वो इस सीज़न अपनी तैयारियों के बारे में बताते हैं, ''मैं इस सत्र में फॉर्मूला रेनॉ 2 लीटर में नॉर्दन यूरोपियन कप में हिस्सा ले रहा हूं. मेरा फ़ोर्टेक टीम के साथ क़रार हुआ है."

"दो हफ्तों में इटली के मोन्ज़ा शहर में मेरी पहली रेस होने वाली है. इसके लिए मैं फिलहाल जर्मनी और हॉलैंड में टेस्टिंग कर रहा हूं.''

सहारा फोर्स इंडिया का 'सहारा'

भारत की फॉर्मूला वन रेसिंग टीम सहारा फोर्स इंडिया जेहान को आगे बढने में लगातार मदद कर रही है. 2012 में एक कार्यक्रम के अंतर्गत सहारा फोर्स इंडिया के ड्राइवर निको हलकेनबर्ग ने जेहान को कार्टिंग टीम के लिए चुना था.

सहारा फोर्स इंडिया की तरफ से जेहान 2013 में अंडर-16 ब्रिटिश केएफ3 चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय बने थे. साथ ही पिछले साल वो केएफ2 विश्व चैम्पियनशिप में भी तीसरे स्थान पर रहे थे.

सहारा फोर्स इडिया से मिल रहे सहयोग से जेहान बेहद खुश हैं. उन्हें उम्मीद है कि वो आगे चलकर भारत के नरायण कार्तिकेयन और करुण चंडोग की तरह फॉर्मूला वन ड्राइवर बनेंगे.

"मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसा हो. मेरे प्रदर्शन से सहारा फोर्स इंडिया ख़ुश है. टीम के मालिक विजय माल्या से मेरे पापा की बातचीत होती रहती है.''

''वो मुझे काफी बढ़ावा दे रहे हैं. इसके अलावा सहारा फोर्स इंडिया के ड्राइवर निको हलकेबर्ग से भी काफी सीख रहा हूं."

फॉर्मूला वन से कितने दूर ?

जेहान 9 साल के थे जब उन्होंने तय किया कि वो मोटो रेसिंग में जाना चाहते हैं. उनकी उम्र में जहां ज़्यादातर भारतीय बच्चों का रुझान क्रिकेट और फुटबॉल की तरफ होता है. ,

मां काइज़ान दारुवाला इस बारे में बताती हैं, "नौ साल की उम्र में जब जेहान ने हमसे कहा कि उसे मोटो स्पोर्ट में जाना है तो हमें काफी हैरानी हुई. हम इस खेल के बारे में ज़्यादा नहीं जानते थे."

"भारत में ना ही ये ज़्यादा लोकप्रिय है और ना ही इसके चाहनेवाले हैं. ये जेहान की मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि वो फॉर्मूला वन के लिए सही ट्रैक पर है."

जेहान ने कार टेस्टिंग में क़दम ज़रूर रख दिया है, लेकिन फॉर्मूला वन का लाइसेंस हासिल करने से पहले उन्हें काफी प्वाइंट्स इक्ट्ठे करने होंगे. काइज़ान की मानें तो इसमें जेहान को 2-3 साल का वक्त और लगेगा.

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