आप छुट्टियों में बीमार तो नहीं होते?

  • क्लाउडिया हैमंड
  • बीबीसी फ़्यूचर

मैं उन लोगों की संख्या भूल चुकी हूं जो छुट्टियों पर जाने के लिए तेज़ी से काम निपटाने की कोशिश करते हैं और जैसे ही काम ख़त्म करते हैं, बीमार पड़ जाते हैं.

अचानक से उन्हें कोल्ड (ज़ुखाम) हो जाता है या फिर कुछ और...

ये केवल जाड़े में नहीं होता, बल्कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी हो सकता है. समुद्री तट की यात्रा के दौरान भी हो सकता है. काम के बीच बीच में छोटे अवकाश के दौरान भी तबीयत बिगड़ सकती है.

इसे लोग लीज़र सिकनेस के नाम से भी जानते हैं. डच मनोवैज्ञिक एड विंगरहोएट्स ने इस तरह के मर्ज़ की सबसे पहले पहचान की थी. हालांकि अब तक इसके लक्षण और इलाज को लेकर कोई ख़ास अध्ययन नहीं हुआ है.

लीज़र सिकनेस

कई लोगों का अनुभव बताता है कि जैसे ही उन्होंने काम से अवकाश लिया, वे बीमार पड़ गए. तो आख़िर सच क्या है ?

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अभी तक इस बारे में कोई अध्ययन नहीं हुआ है कि छुट्टियों के दिनों में किसी के बीमार होने की आशंका क्यों ज़्यादा होती है?

विंगरहोएट्स ने करीब 1800 लोगों से लीज़र सिकनेस के बारे में जानने की कोशिश की. केवल 3 फीसदी लोगों ने इस सिकनेस से ग्रसित होने की बात स्वीकार की.

अवकाश पर जाने से पहले लोग काफ़ी काम करते हैं और तनाव में भी होते हैं. ये अलग स्थिति होती है, ऐसे में लोगों के बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है.

चाहे सीमित संख्या में ही हो, पर कुछ लोगों ने माना है कि वे लीज़र सिकनेस से ग्रसित हो जाते हैं. तो इसका कारण क्या हो सकता है?

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विंगरहोएट्स के अध्ययन में शामिल करीब आधे लोग ऐसे थे जो काम से अवकाश पर जाने वाले थे. ऐसे में लीज़र सिकनेस की चपेट में आने वाले लोगों की समस्या को लेकर कई तर्क भी सामने आए.

हार्मोंस का असंतुलित होना

एक वजह तो ये है कि अवकाश पर जाते वक्त हमें आराम मिलता है. ऐसे में काम के तनाव पर अंकुश लगाने वाले हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं. ऐसे में इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है.

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एड्रनैलिन से हमें तनाव कम करने में मदद मिलती है और यह इंफेक्शन के ख़िलाफ़ संघर्ष करने में मदद करता है. कोर्टिसोल भी तनाव से लड़ने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन इससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता पर असर पड़ता है.

ये भी हो सकता है, कुछ लोग लंबे समय से बीमार हों और अवकाश पर जाते ही बीमारी उभर आती हो. ये भी संभव है कि व्यस्तता के चलते लोगों को अवकाश नजदीक आते आते अपनी सेहत का ध्यान नहीं रहता हो.

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ये भी संभव है कि हमारे शरीर के लक्षण हमारे कामकाज के तरीकों पर निर्भर करते हैं. मनोचिकित्सक जेम्स पेन्नबेकर के मुताबिक अगर हमारे आसपास हलचल कम हो तो इसके लक्षण खतरनाक होते हैं.

विंगरहोएट्स ने छात्रों के एक समूह को एक फिल्म का 30 सेकेंड का हिस्सा दिखाया और उनसे पूछा कि ये फिल्म कितनी दिलचस्प है. उन्होंने फिर वही फिल्म का हिस्सा दूसरे समूह को दिखाया और देखा कि वे कितना खांसते हैं. फिल्म जितनी दिलचस्प थी, लड़कों की खांसी उतनी ही कम थी. बोरिंग फिल्म से उनकी खांसी बढ़ जाती थी.

जेम्स के मुताबिक जैसे ही आपको कामकाज से छुट्टी मिलती है आपके शरीर में दर्द बढ़ जाता है. लगातार काम करते हुए सिर का भारी होना या नाक का बहना कम ही होता है.

एक बिलकुल अलग संभावना ये भी है कि केवल काम का तनाव हमें बीमार नहीं करता बल्कि अवकाश का तनाव भी हमें बीमार बनाता है.

यात्रा करना हमेशा थकाने वाला होता है. खासकर विमान की यात्रा ज़्यादा थकाती है. विमान की उड़ान जितनी लंबी होगी आपके वायरस की चपेट में आने की आशंका उतनी ज्यादा होगी.

औसत अमरीकी हर साल दो से ज़्यादा बार कोल्ड की चपेट में आता है जबकि शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रत्येक उड़ान पर व्यस्कों में एक फ़ीसदी कोल्ड की आशंका बढ़ जाती है.

हालांकि पहले से बीमार लोगों के ठीक होने के एक सप्ताह बाद उड़ान भरने पर, 20 फ़ीसदी लोग कोल्ड की चपेट में आ जाते हैं.

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अगर यही तस्वीर पूरे साल रही तो आपको एक साल में 56 बार कोल्ड हो सकता है. इंफेक्शन की सबसे बड़ी वजह विमान में हवा की रिसाइक्लिंग है. हालांकि अध्ययन में इसका कोई सबूत नहीं मिलता.

इंफेक्शन की वजह

विशेषज्ञ दो दूसरी वजहों को ज़्यादा ज़िम्मेदार मानते हैं- एक तो संकुचित दायरे में बैठना, एक दूसरे के नजदीक बैठना और दूसरी नमी. इस आकलन के मुताबिक विमान के अंदर ड्राई एयर से फैलने वाला वायरस और बैक्टरिया नाक के माध्यम से गले तक पहुंचता है और पेट में जाकर गड़बड़ी करता है.

विंगरहोएट्स अवकाश के दौरान लोगों के बीमार होने की दूसरी वजहों के होने की बात भी करते हैं. एक राय ये भी है कि अगर आपको अपनी छुट्टियां पसंद नहीं आ रही हैं तो आप बीमार पड़ सकते हैं.

हालांकि इस पहलू पर गंभीर अध्ययन की जरूरत महूसस की जा रही है. इसके बिना किसी एक वजह या कई वजहों को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

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हालांकि इन सबके बीच अच्छी ख़बर यह है कि अवकाश के दौरान बीमार होने के मामले कम ही नजर आते हैं. इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ ही हमारी प्रतिरोधी क्षमता भी बेहतर होती है और हम कम से कम बीमार होते हैं, चाहे हम अवकाश पर हों या नहीं.

अंग्रेज़ी में मूल लेख यहां पढ़ें, जो बीबीसी फ़्यूचर पर उपलब्ध है.

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