अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि
भारत की अर्थव्यवस्था 2014-2015 में 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी है.
मार्च में खत्म हुई तिमाही में वृद्धि दर पिछली तिमाही से ज़्यादा रही.
वृद्धि दर की गणना के तरीके पर सवाल भी
हालांकि आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने वृद्धि दर की गणना का तरीका बदल दिया है जिससे असल तस्वीर सामने नहीं आ रही.
विकास के मज़बूत आंकड़ों के बावजूद केन्द्र सरकार को उम्मीद है कि रिज़र्व बैंक ऋण दरों में कटौती कर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा.
रिज़र्व बैंक ने इस साल दो बार ब्याज दर में कटौती की है हालांकि अप्रैल में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया.
सच्चाई से ज़्यादा बता रहे आंकड़े?
केन्द्र सरकार ने 2014 अक्तूबर से दिसंबर के बीच अर्थव्यवस्था की वृद्धि को संशोधित कर 6.6 फीसदी बताया. पहले यह आंकड़ा 7.5 प्रतिशत बताया गया था.
इसी तरह सरकार ने पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच यह आंकड़ा 8.2 प्रतिशत से बदलकर 8.4 फीसदी बता दिया.
आंकड़ों के बदले जाने और जीडीपी की गणना के नए तरीके को लेकर आर्थिक विशेषज्ञ असमंजस में हैं.
बीबीसी के सायिमन ऐटकिन्सन का कहा है, " नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने एक साल हो गया है और आंकड़े बता रहे हैं कि उनके वादे के मुताबिक अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है. लेकिन वृद्धि के आंकड़ों में बदलाव से कई लोग यह कह रहे हैं कि भारत की जीडीपी के आंकड़े सच्चाई से कुछ ज़्यादा बता रहे हैं क्योंकि दूसरे आर्थिक आंकड़े जैसे कि फैक्ट्री उत्पादन औऱ निर्यात के आंकड़े इस वृद्धि का समर्थन करते नहीं दिखते."
अभी दूर है मंज़िल?
कैपिटल इकॉनॉमिक्स के शिलन शाह का कहना है, "जीडीपी के आंकड़े जो बता रहे हैं अर्थव्यवस्था उतनी मज़बूत नहीं है."
शिलन शाह बताते हैं कि उदाहरण के तौर पर ऑटो क्षेत्र में बिकवाली इस साल कम देखी गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले विदेशी निवेश लाने के लिए आर्थिक सुधारों के वादे किए थे.
हालांकि एक साल बाद भी आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार नहीं कर पाये हैं.
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