भारत-पाक: दोनों देशों का एक जैसा हाल!
- वुसतुल्लाह ख़ान
- बीबीसी संवाददाता, पाकिस्तान
पार्लियामेंट के एक मेंबर ने कहा कि चर्च, मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारे वगैरह को निशाना बनाने वाले देश को बदनाम कर रहे हैं.
और लोग अब ये सोचने लगे हैं कि ये देश अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित नहीं रहा.
एक और सदस्य ने कहा कि ये इंटेलीजेंस एजेंसियों की ज़िम्मेदारी है कि ऐसे लोगों और गुटों पर नज़र रखें जो अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं.
एक भूतपूर्व न्यायाधीश ने कहा कि ये बात बहुत ख़तरनाक है कि लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है इसलिए लोग ख़ुद ही अदालत और जल्लाद बनने पर मजबूर हो रहे हैं.
भाईचारे की अहमियत
एक वकील ने कहा कि अल्पसंख्यकों को भी चाहिए कि वे क़ानूनी रास्ता चुनें और कोई ऐसी प्रतिक्रिया न दें जिससे उनको और नुक़सान पहुंचे.
एक उदारवादी नेता ने कहा कि ये धार्मिक नेताओं की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने-अपने मानने वालों को भाईचारे की अहमियत से परिचित कराएं.
एक मौलाना ने कहा कि धर्म के नाम पर दूसरों पर अत्याचार का दरअसल किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है.
चंद धार्मिक ठेकेदार लोगों को जहालत से निकालने की बजाय उन्हें अपने एजेंडे का चारा बनाना चाहते हैं.
अजनबी और असुरक्षित!
एक पिछड़ी जाति वाले ने कहा कि वह इस देश में कई पीढ़ियों से रहने के बाद आज भी ख़ुद को अजनबी और असुरक्षित महसूस कर रहा है.
एक ईसाई ने कहा कि जिन लोगों ने हमारे मिशनरी स्कूलों में शिक्षा ली, वे ही आज हमें बता रहे हैं कि तुम हममें से नहीं.
एक सिख ने कहा कि ये एक कैसा देश है जहां बहुमत को अल्पमत से ख़तरा बताया जा रहा है.
एक पारसी ने कहा कि मुझे कितने हज़ार साल और यहां रहने होंगे ताकि लोग मुझे अपनों में ही शुमार करें.
सख्त सज़ा!
एक अहमदी ने कहा कि मेरी तीसरी पीढ़ी इस मुल्क की हिफ़ाजत के लिए फ़ौज में भर्ती हुई है मगर ये कैसा देश है जो मेरी रक्षा नहीं कर पा रहा है.
एक भक्तिमान ने कहा कि जिन्होंने भी ये चर्च जलाया है उन्हें सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए.
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि आज मेरा सिर ये सुनकर शर्म से झुक गया कि इस बस्ती को सिर्फ़ इसलिए आग लगा दी गई क्योंकि इसमें रहने वालों का धर्म आग लगाने वालों के धर्म से अलग था.
भारत-पाक
एक जोशीले युवा ने कहा कि इस देश में रहना होगा तो अक्सरियत के साथ शामिल होना होगा.
एक वेद ने कहा कि इबादतगाहों में तोड़फोड़ की कोई भी हिमायत नहीं कर सकता.
एक बुद्धिजीवी ने कहा कि कितने दुख की बात है कि समाज में एकदूसरे के लिए बर्दाश्त तेज़ी से ख़त्म हो रही है.
क्या आप बता सकते हैं कि इनमें से कौन सा बयान पाकिस्तान में दिया गया होगा और कौन सा भारत में.
अगर नहीं बता सकते तो फिर क्यों सोचते हो कि तुम हम जैसे नहीं. तुम हमसे कम बुरे हो और हम तुमसे ज़्यादा अच्छे.
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