'बांके' की बारात में दिग्गज बाराती

  • श्वेता पांडेय
  • मुंबई से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

निर्देशक एज़ाज ख़ान की आगामी फ़िल्म 'बांके की क्रेज़ी बारात' की स्टॉर कॉस्ट में थिएटर के नामचीन कलाकरों को शामिल किया गया है.

समानांतर सिनेमा के अभिनेताओं की जुगलबंदी से एक संपूर्ण कमर्शियल सिनेमा बनाने की कोशिशें पहले भी हुई हैं जिनमें 'आखों देखी', 'मसान' जैसे कई उदाहरण हैं, लेकिन उन फ़िल्मों में समानांतर सिनेमा का टच देखा जा सकता है.

'बांके की क्रेज़ी बारात' एक पूर्णत: व्यावसायिक कॉमेडी फ़िल्म है और इस फ़िल्म के पहलुओं पर इसमें काम कर रहे अभिनेताओं राकेश बेदी, विजयराज और राजपाल यादव से बीबीसी की ख़ास बातचीत हुई

काम नहीं है

राकेश बेदी जिन्हें लोग टीवी धारावाहिक 'श्रीमान श्रीमती' के दिलरूबा अंकल और चश्मे बद्दूर में फ़ारूख़ शेख़ के मज़ेदार दोस्त के रूप में याद करते हैं एक लंबे समय तक सिने पर्दे से ग़ायब रहे.

हालांकि वो थिएटर में पूरी तरह से सक्रिय थे और वर्तमान में राकेश के निर्देशन में बन रहा अनुपम खेर और नीना गुप्ता अभीनीत नाटक 'मेरा वो मतलब नहीं था' काफ़ी सराहा भी जा रहा है.

लेकिन फ़िल्मों से इस दूरी पर राकेश कहते हैं, "मुझे जो प्रस्‍ताव म‍िलते थे, वो बहुत अच्‍छे नहीं होते थे. इसके अलावा थ‍िएटर और टेलीव‍िज़न से मुझे फ़ुरसत भी नहीं म‍िली वर्ना 90 के दशक में मैं फ़िल्मों में काफ़ी सक्रिय था.”

कुछ यही हाल दिग्गज अभिनेता विजय राज का भी है.

साल 2014 में 'क्या दिल्ली क्या लाहौर' में अपने अभिनय के लिए प्रशंसा पाने वाले विजय का कहना है, “जब आप लोग मुझे कम देख रहे हैं, तो इसका सीधा मतलब है कि मेरे लिए कम लिखा जा रहा है. मुझे कोई काम के लिए कहेगा, तभी तो करूंगा.”

कंटेंट में बदलाव

राजपाल यादव, विजयराज और राकेश बेदी तीनों ही टीवी के कंटेंट में हाल के दिनों में आए बदलाव से ख़ुश हैं.

तीनों ने माना कि आज कल के रिएलिस्‍टक स‍िनेमा में काफ़ी बदलाव आए हैं.

राकेश कहते हैं, "अब फ़िल्‍मकारों के साथ दर्शक भी बदले हैं और यह बदलाव वाक़ई सुखद है.”

वे टीवी पर आने वाले ‘एप‍िक चैनल’ का नाम लेते हुए कहते हैं कि ज‍िस तरह का कंटेंट अब दिखाया जा रहा है, वो पहले नहीं होता था. वर्ना हमारे पास तो साहित्‍य का ख़जाना भरा पड़ा है.

सिनेमा में आए इस परिवर्तन पर व‍िजय कहते हैं, “यह बदलाव बीते पंद्रह सालों में आया है और अब दर्शक रिएल‍िस्‍ट‍िक सिनेमा देखना पसंद करते हैं. इसलिए ही पैरलल सिनेमा में काम करने वाले अभिनेता कमर्शियल सिनेमा में कमाल कर रहे हैं.”

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