हार्दिक को चुनौती देती तिकड़ी

  • अंकुर जैन
  • बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए, अहमदाबाद से

पाटिदार अनामत आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल पिछले दो महीनों में ही ज़ीरो से हीरो बन गए हैं.

गुजरात में एक विवादास्पद नेता की तरह उभर रहे 22 वर्ष के हार्दिक पटेल की आरक्षण रैली में जहां हज़ारों की संख्या में भीड़ जुटी वहीं तीन चेहरे ऐसे भी हैं जो इस आंदोलन के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. उनमें से एक तो उनके आंदोलन में साथी रहे हैं.

लालजी पटेल

लालजी पटेल सबसे दाईं और दिख रहे हैं.

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इमेज कैप्शन, लालजी पटेल सबसे दाईं और दिख रहे हैं.

लालजी आंदोलन की शुरुआत से ही हार्दिक पटेल के साथ थे. सरदार पटेल समूह के सदस्य रह चुके लालजी उत्तरी गुजरात में मजबूत माने जाने वाले पटेल समुदाय का प्रतिनिधित्व भी करते हैं. इसी समुदाय ने पाटिदार अनामत आंदोलन की अगुवाई की थी.

लेकिन 15 दिन पहले ही एक ऑडियो आया जिसमें लालजी हार्दिक पटेल की आलोचना करते हुए सुने जा सकते हैं.

ये समिति की बैठक का लीक हुआ ऑडियो है.

मंगलवार को अहमदाबाद में हुई बड़ी रैली में लालजी को मंच पर न बुलाए जाने से उनके समर्थकों में ख़ासा रोष दिखा था.

अहमदाबाद में हुई रैली के तुरंत बाद लालजी ने कहा, ''हड़ताल पर बैठने का फैसला और मुख्यमंत्री आनंदीबेन को ज्ञापन लेने के लिए मंच पर बुलाने का फैसला हार्दिक पटेल ने स्वंय लिया था और इसमें किसी की राय नहीं ली गई थी.''

कुछ लोगों का मानना है कि हार्दिक पटेल की रैली फ्लॉप रही क्योंकि वे पटेल समुदाय के सभी लोगों को एक साथ नहीं ला सके और ये 'रैली वन मैन शो' जैसी लगी.

हार्दिक के मुख्यमंत्री आनंदी पटेल को 48 घंटों का अल्टीमेटम देने पर लालजी ने नाराज़गी भी जताई.

हार्दिक को हिरासत में लिए जाने और फिर बाद में छोड़ दिए जाने के बाद उनके समर्थकों ने लालजी के दफ़्तर पर हमला किया था.

अल्पेश ठाकुर

गुजरात में 145 जातियां अन्य पिछड़ी जातियों के अंतर्गत आती हैं. इनमें से कई जातियों के लोग पटेल आंदोलन का विरोध कर चुके हैं.

अन्य पिछड़ी जाति एकता मंच के सदस्य अल्पेश ठाकुर ने रविवार को पटेल आंदोलन के विरोध में रैली की.

अल्पेश ठाकुर का कहना था, ''हार्दिक पटेल ये दावा करके कि उन्हें 52 पाटिदारों का समर्थन हासिल है, हवाई किला बना रहे हैं.''

वे एक राजनीतिक आंदोलन चला रहे हैं जो गुजरात में आर्थिक और समाजिक तौर पर पिछड़ी जातियों के विकास के नारे के साथ खड़ा किया गया है और बताया जा रहा है कि पिछले कुछ सालों में इन लोगों के लिए कुछ नहीं बदला है.

ठाकुर का कहना है, ''पटेल को राजनीतिक समर्थन मिल रहा है नहीं तो वे अपनी रैली में इतने लोगों की भीड़ नहीं जुटा पाते. अब यही सवाल लोग पूछ रहे हैं कि पटेल के इस आंदोलन को पीछे से कौन चला रहा है.''

मौलिक श्रीमाली

गुजरात की आरटीआई कार्यकर्ता मौलिक श्रीमाली टीवी चैनलों पर होने वाली बहस में हार्दिक पटेल के विरोध में बोलते नज़र आते हैं.

मौलिक श्रीमाली का कहना है, ''गुजरात में पटेल एक मजबूत समुदाय है, चाहे वो राजनीति, व्यवसाय या फिर विदेशों में बसने की बात हो. अगर ये समुदाय कहता है कि उसे आरक्षण चाहिए तो हमें उन जातियों की कल्पना कर सकते है जो ओबीसी में आती हैं. पाटिदार आंदोलन एक गलत मुद्दे पर हो रहा है और सरकार को इसके शुरु होते ही खत्म कर देना चाहिए था.''

श्रीमाली के अनुसार जब नेशनल कमीशन ऑफ़ इंडिया ने वर्ष 2008 में गुजरात के समुदायों से पूछा था कि किन्हें आरक्षण चाहिए तो एक भी पाटिदार नेता दिल्ली नहीं गया था. और अब अचानक ये आंदोलन और शक्ति प्रदर्शन हो रहा है जो भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए ठीक नहीं हैं.

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