अंग्रेज़ों ने यहां 'सीखी' भारतीय संस्कृति
- सुप्रिया सोग्ले
- मुंबई से, बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के लिए
मुंबई के बायकला में मौजूद डॉ. भाऊ दाजी लाड संग्रहालय भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है.
1872 में अंग्रेज़ों के हाथों तैयार करवाया गया संग्रहालय मुंबई शहर की पुरानी संस्कृति का गवाह है.
तैयार होने के वक़्त इसका नाम 'विक्टोरिया एंड अल्बर्ट' संग्रहालय था लेकिन सन् 1975 में इसका नाम बदलकर भाऊ दाजी लाड संग्रहालय रखा गया.
सभी राष्ट्रीय धरोहरों की तरह ये भी अपनी चमक खो रहा है. लेकिन इसे हाल ही में एक नए अवतार में पर्यटकों के लिए खोला गया है.
मुंबई की 19वीं और 20वीं सदी की संस्कृति दर्शाता यह संग्रहालय प्राचीन काल का एक अलग ही अनुभव करवाता है.
इस संग्रहालय के दरवाज़े पर मौजूद पत्थरों से बने हाथी को अंग्रेज़ मुंबई की मशहूर ऐलीफेंटा गुफ़ाओं से लाए थे.
इसमें मौजूद स्तंभ पर सोने की परख से बेहतरीन कलाकारी की गई है.
मुंबई की प्राचीन सांस्कृतिक पोषाक को दर्शाती मूर्तियां बड़ी खूबसूरती के साथ यहां सजाई गई हैं.
इस संग्रहालय में पोषाक और संस्कृति ही नहीं 19वीं शताब्दी की मुद्राएं भी मौजूद हैं.
आज़ादी के पहले इंग्लैंड से आए अफ़सरों को मुंबई की संस्कृति समझने में यह संग्रहालय बेहद मददगार साबित होता था.
(सारी जानकारी संग्रहालय के अधिकारियों से बातचीत के आधार पर)
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