कैसी गर्मी? मैसूर में मस्ती कर रहे जानवर

  • इमरान क़ुरैशी
  • बेंगलुरू से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

बेंगलुरू का आसमान जैसे धूप से चटक रहा है. तापमान के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने के कारण उड़ते पक्षी आसमान से गिर कर मर रहे हैं.

लेकिन बेंगलुरू के पास मैसूर में करीब 1500 पक्षी और जानवर मस्ती कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है.

ऐसा नहीं है कि मैसूर का तापमान बेंगलुरू से बहुत अलग है. दो दिन पहले यह 39.9 डिग्री सेल्सियस था, जिसने यहां के तामपान का 123 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया.

मैसूर चिड़ियाघर, चिंपाज़ी

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बेंगलुरू और मैसूर के पक्षियों में फ़र्क सिर्फ़ यह है कि मैसूर में वह चिड़ियाघर के सुरक्षित माहौल में हैं.

हालांकि इसका आधिकारिक नाम श्री चमराजेंद्रा ज़ूलॉजिकल गार्डन्स है, इसे लोग मैसूर चिड़ियाघर के नाम से जानते हैं. यह नाम 1892 में इसे स्थापित करने वाले महाराजा श्री चमराजेंद्रा वाडेयार पर रखा गया है.

संभवतः यह देश के बहुत कम चिड़ियाघरों में से एक है जहां प्राकृतिक जल स्रोत उपलब्ध है जिसकी मदद से जानवर इस भारी गर्मी को झेल पा रहे हैं.

मैसूर चिड़ियाघर

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मैसूर चिड़ियाघर प्राधिकरण के निदेशक एस वेंकटेसन कहते हैं, "इसकी सीधी सी वजह यह है कि मुझसे पहले के निदेशक बीपी रवि ने 2014-15 में जल संरक्षण पर ध्यान दिया था. इसी वजह से मैसूर चिड़ियाघर को पानी की कमी नहीं झेलनी पड़ती."

वह बताते हैं, "चिड़ियाघर में जानवरों को साफ़ करने और उनके रहने की जगहों को साफ़ और ठंडा रखने के लिए पानी छिड़कने के लिए रोज़ छह लाख लीटर पानी की ज़रूरत होती है. और हमें यह अपनी जल संरक्षण प्रणाली से हासिल हो जाता है."

उनसे पहले चिड़ियाघर के निदेशक ने यह महसूस किया कि चामुंडी पहाड़ियों से बहकर आने वाला पानी बर्बाद हो रहा है. सरकार ने भी इलाके के सबसे पुराने तालाबों में से एक करंजी तालाब को चिड़ियाघर को सौंप दिया.

चिड़िया

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वेंकटेसन कहते हैं, "इस तरह चामुंडी पहाड़ियों से बहकर आने वाले पानी को करंजी तालाब में जमा कर लिया जाता है जहां से इसे चिड़ियाघर को भेजा जाता है."

यह चिड़ियाघर 80 एकड़ से ज़्यादा इलाक़े में फैला हुआ है और यहां 1500 से ज़्यादा जानवरों की 156 से भी ज़्यादा प्रजातियां हैं. इसके अलावा 70 एकड़ में फैले करंजी तालाब क्षेत्र में इतनी वनस्पतियां होती हैं कि इनके लिए पक्षियों की कई प्रजातियां हर साल यहां आती हैं.

यहां के करीब 300 जानवरों को लोगों ने गोद लिया है जिससे चिड़ियाघर को हर साल 30 लाख रुपये से ज़्यादा का दान मिलता है.

मैसूर चिड़ियाघर

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इस जल संरक्षण प्रणाली से सिर्फ़ जानवरों को ही फ़ायदा नहीं मिलता. चिड़ियाघर में आने वालों को पानी की बोतलें लाने की अनुमति नहीं है.

वेंकटेसन कहते हैं, "इसलिए हमें पर्यटकों को पीने का पानी उपलब्ध करवाना होता है. हमारे पास ऐसी प्रणाली है जो हर घंटे पर्यटकों को एक हज़ार लीटर पीने का पानी उपलब्ध करवा सकती है."

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