'कौन सी बर्बादी और तबाही के इंतज़ार में हो'

  • आरजू आलम
  • बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
अकबरुद्दीन ओवैसी

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बिहार विधान सभा चुनाव मैदान में उतरी मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में जुटी है, हालांकि कई लोग उनकी तरफ से सांप्रदायिक कार्ड खेलने से प्रभावित नज़र नहीं आते हैं.

एआईएमआईएम के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने रविवार को किशनगंज के कोचाधामन में रैली को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने गुजरात से लेकर मुंबई और मुज़फ्फरनगर दंगों और बिसाहड़ा की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए समर्थन मांगा.

उन्होंने कहा, "तो आख़िर बताओ कि तुम कौन सी बर्बादी और तबाही के इंतजार में हो.”

अकबरुद्दीन ओवैसी के इन भाषणों पर तालियाँ तो बज़ीं लेकिन उनके स्थानीय मुद्दे और समस्याओं की अनदेखी से स्थानीय जनता मायूस भी दिखी.

रैली में आए लोगों को यह उम्मीद थीं कि ओवैसी शिक्षा के मामले में सबसे पिछड़े मुसलमानों पर भी कुछ बात करें.

पिछड़ापन

रैली में मौजूद डॉक्टर शमीम अख़्तर का कहना था, “तालीम तरक्की की पहली शर्त है लेकिन आज़ादी के बाद यहाँ के ज़्यादातर मुस्लिम रहनुमाओं ने लोगों की तालीम पर दिलचस्पी नहीं दिखाई, नतीजतन सीमांचल आज देश के कुछ सबसे पिछड़े इलाकों में शामिल किया जाता है.”

वहीं किशनगंज में स्कूल चलाने वाले तफीम कहते हैं, “ हमने लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों को आज़मा कर देख लिया, लेकिन सीमांचल की किस्मत नहीं बदली, ऐसे में ओवैसी को मैं एक बार मौका देने की वकालत करता हूँ.”

हालांकि कई लोग यह सवाल भी उठाते हैं कि एआईएमआईएम और उसके नेता तो इस इलाके में कहीं नहीं थे तो अचानक चुनाव में आ जाना क्या मौकापरस्ती नहीं है?

इस सवाल पर मशीरियाज़ कहते हैं, “जहाँ तक वोट करने की बात है तो हम स्थानीय पार्टियों को ही तरज़ीह देगें क्योंकि ओवैसी और उनकी पार्टी हैदराबाद से हैं ऐसे में वह पहले हैदराबाद का विकास करेंगे कि हमारे इलाके की? ”

महिलाओं का मुद्दा

वहीं इलाक़े की महिलाओं का तो साफ़-साफ़ यह कहना है कि जो भी पार्टी महिलाओं के मुद्दे और विकास की बात करेंगी वो उन्हें ही वोट देंगी.

किशनगंज की फरीदा कहती हैं, “इलाके में महिला डॉक्टर और नर्सों की कमी हैं, इसलिए हमें अपने बीमारियों के इलाज में बहुत परेशानी होती है लेकिन कोई भी इस पर बात नहीं करता, इसलिए जो सरकार औरत का साथ देगी, औरत भी उसी को समर्थन करेगी.”

सीमांचल के लोग अकबरुद्दीन ओवैसी के भावनाओं से लबरेज़ भाषण पर तालियाँ पीटते तो खूब दिखाई दे रहे हैं लेकिन अब वो उम्मीदावारों से शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और उनके जीवन के रोज़मर्रा से जुड़ी चीजों के विकास को तरजीह देने की माँग करते हैं.

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