'परिवार से दूरी बनाकर रहते हैं नरेंद्र भाई'

  • ज़ुबैर अहमद
  • बीबीसी संवाददाता
नरेंद्र मोदी

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दुनिया भर में चुनाव प्रचार के दौरान राजनेता सार्वजनिक मंचों पर अपने परिवार के साथ निकटता जताकर ख़ुद को एक संवेदनशील और पारिवारिक व्यक्ति के रूप में पेश करते हैं, लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को अपने परिवार से एक ख़ास दूरी बनाकर चलना पसंद है.

नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी ने बताया, "नरेंद्र भाई का स्वभाव ही ऐसा है कि देश के लिए उन्होंने ख़ुद को समर्पित कर दिया है तो परिवार को अपने काम में शामिल नहीं करते हैं."

उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी ने उनसे या परिवार के किसी सदस्य से चुनाव प्रचार के लिए कोई मदद नहीं मांगी.

नरेंद्र मोदी की वैवाहिक स्थिति को लेकर जारी विवाद पर प्रह्लाद मोदी ने कहा, "ये उनका निजी मामला है. मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता." हालांकि एक सवाल के जवाब में उन्होंने जशोदाबेन को अपनी भाभी माना.

दंगों के दाग़

नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वडोदरा लोकसभा सीट के लिए अपने नामांकन पत्र के साथ दिए गए हलफ़नामे में पत्नी के नाम वाले स्थान पर जशोदाबेन लिखा था.

प्रह्लाद मोदी ने बताया कि उनकी कई साल पहले जशोदाबेन से मुलाक़ात हुई थी और फिलहाल जशोदाबेन से उनका कोई संपर्क नहीं है.

नरेंद्र मोदी

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नरेंद्र मोदी की सबसे अधिक आलोचना साल 2002 में हुए गुजरात में हुए दंगों के दौरान उनकी सरकार की कथित भूमिका के लिए की जाती है.

इस बारे में प्रह्लाद मोदी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी मुसलमान बच्चों के साथ खेलकर बड़े हुए हैं और उनकी परवरिश उस माहौल में हुई है जहां हिंदू-मुसलमान एक दूसरे के सुख-दुःख में साथ देते थे.

उन्होंने कहा, "दंगों के मामले में मैं डंके की चोट पर कह सकता हूँ कि नरेंद्र भाई निर्दोष हैं और अब तो अदालत भी कह चुकी है."

कप्तानी का शौक़

बचपन के दिनों के बारे में उन्होंने बताया, "हम इतने साधारण और ग़रीब परिवार से आते हैं कि हमने कभी सोचा नहीं था, नरेंद्र भाई इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे. लेकिन, ये हिंदुस्तान की लोकशाही की परम्परा का एक उदाहरण है कि चाय बनाने वाले एक आदमी का लड़का आज हिंदुस्तान में प्रधानमंत्री की दावेदारी में खड़ा है.''

उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी को बचपन में खेल के दौरान कप्तानी करना पसंद था.

वो कहते हैं, "नरेंद्र भाई को पतंग उड़ाने का बड़ा शौक़ था और छोटा होने के कारण मेरा काम था फिरकी पकड़ना. फिरकी न पकड़ने पर डांटते भी थे और थप्पड़ भी लगाते थे. कहां बचपन के नरेंद्र भाई और कहां आज के नरेंद्र भाई."

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