मोदी-केजरीवाल समर्थकों के निशाने पर विकिपीडिया?

  • पारुल अग्रवाल
  • बीबीसी संवाददाता, दिल्ली

चुनाव के माहौल में हर पार्टी, हर नेता इंटरनेट पर अपनी छवि बेहतर और दूसरे की हालत पस्त चाहता है और यही वजह है कि फ़ेसबुक और ट्विटर के बाद अब ये चुनावी जंग विकीपीडिया पर भी पहुंच गई है.

मामला है नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी जैसे नेताओंऔर उनसे जुड़े पन्नों के ज़रिए चुनावी प्रचारका.

भारत में विकीपीडियाके लिए काम करने वाले लोगों के मुताबिक़ पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग पार्टियों के दिग्गज नेताओं, भ्रष्टाचार जैसे बड़े चुनावी मुद्दों और गुजरात के विकास या गुजरात दंगों से जुड़े विकीपीडिया के पन्नों पर गतिविधियां कई गुना बढ़ गई हैं.

इन पन्नों में लगातार फेरबदल की कोशिशें की जा रही हैं और इसका मकसद एक ख़ास तरह की जानकारी को दुनिया के सामने पेश करना है.

भारत में विकीपीडिया बोर्ड के सदस्य प्रणव क्रमसी कहते हैं, ''विकीपीडिया दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन एनसाइक्लोपीडिया है. ये जानकारी का एक निष्पक्ष स्रोत है लेकिन ये सही है कि चुनाव के माहौल में इन पन्नों पर अलग-अलग तरह की जानकारियां जोड़ने और हटाने के लिए लोग लगातार भिड़ रहे हैं.''

प्रॉपगैन्डा वॉर

विकीपीडिया एक ऐसी वेबसाइट है जिस पर किसी भी विषय या किसी व्यक्ति विशेष के बारे में कोई भी लिख सकता है. जो भी जानकारी जोड़ी जाती है उस पर दूसरे लोग नज़र रखते हैं और इस तरह विकीपीडियन्स की फौज मिलकर वेबसाइट को निष्पक्ष और तथ्यात्मक रखती है.

तो चुनाव के इस माहौल में क्या विकीपीडिया पर भी अब 'प्रॉपगैन्डा वॉर' का ख़तरा मंडरा रहा है?

पेशे से वकील मोहित सिंह चार साल से ज़्यादा समय से विकीपीडिया के साथ जुड़े हैं और नरेंद्र मोदी और गोधरा दंगों से जुड़े पन्नों पर लगातार नज़र रखते हैं.

बीबीसी से हुई बातचीत में उन्होंने बताया, ''विकीपीडिया की भाषा में हम इसे ‘एडिट-वॉरिंग’ कहते हैं. इसमें एक तरफ होते हैं किसी एक विचारधारा या तथ्य के समर्थक जो जानकारियां एडिट करते हैं और दूसरी तरफ वो लोग जो बदलावों पर नज़र रखते हैं और जानकारी सही न पाए जाने पर उसे रिवर्स करते हैं.''

केवल 13 अप्रैल को ही नरेंद्र मोदी के पन्ने पर 40 से ज़्यादा संशोधन हुए जिनमें मोदी और आरएसएस के बीच संबंधों और चुनाव में उनकी जीत की संभावना जैसे बदलाव शामिल हैं.

मोहित ने बताया, ''पटना में नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान हुए बम धमाके को उनके पन्ने पर जोड़कर कुछ लोगों ने इसे उनकी जान को ख़तरा बताते हुए उन्हें साहसिक नेता की तरह पेश करने की कोशिश की. इन पन्नों पर केवल समर्थक ही सक्रिय हों ऐसा नहीं है. एक बार किसी ने नरेंद्र मोदी का नाम बदल कर नरेंद्र लोदी कर दिया था!''

'डिजिटल वैंडेलिज़्म'

26 से 28 मार्च के बीच अरविंद केजरीवाल का विकीपीडिया पन्ना 30 से ज़्यादा बार संशोधित हुआ है.

यहां तक कि एक गुमनाम विकीपीडियन ने रिवर्स एडिट के बाद अपनी टिप्पणी में लिखा है, ''ये पन्ना अरविंद केजरीवाल की तथ्यात्मक जीवनी है और यहां उनके आंदोलन के मिनट दर मिनट का ब्योरा लिखना ज़रूरी नहीं है!''

राजनीतिक नेताओं के पन्नों पर बढ़ते हमलों, जिन्हें तकनीक की भाषा में डिजिटल वैंडेलिज़्म कहा जाता है, को रोकने के लिए ज़्यादातर पन्नों को अब प्रोटेक्टेड मोड यानी सुरक्षित कर दिया गया है. इन पन्नों पर अब केवल विकीपीडिया के पंजीकृत सदस्य ही बदलाव कर सकते हैं.

टीनू चेरियन विकीमीडिया के इंडिया चैप्टर से लंबे समय तक जुड़े रहे और उन चुनिंदा भारतीयों में से हैं जो विकीपीडिया अंग्रेज़ी के एडमिनिस्ट्रेटर भी हैं.

उनका मानना है कि इंटरनेट पर प्रॉपगैन्डा कोई नई बात नहीं है लेकिन भारतीय चुनावों में इसका जिस तरह इस्तेमाल किया गया है वो वाकई हैरान कर देने वाला है.

वैचारिक लड़ाई

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वो कहते हैं, ''विकीपीडिया जैसी वेबसाइट ‘प्वॉइंट ऑफ व्यू एडिट्स’ यानी किसी विचारधारा से प्रेरित होकर संशोधन करने का माध्यम नहीं हैं, लेकिन लोग ये जानते हैं कि अगर तथ्यों के स्रोत को ही प्रभावित कर दिया जाए तो इंटरनेट पर जो वैचारिक लड़ाई छिड़ी है उसमें आगे निकलना आसान है.''

दुनियाभर में उन लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो शौकिया तौर पर विकीपीडिया के लिए काम करते हैं और उनका मकसद भारत से जुड़ी सही और तथ्यातमक जानकारियां दुनियाभर में उपलब्ध कराना है लेकिन विकीपीडियन्स की मानें तो इस वेबसाइट पर भारत संबंधी जानकारी को निष्पक्ष रखना उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित होता है.

भारत के किसी बड़े नेता का पन्ना विकीपीडिया के 'गुड या फीचर्ड आर्टिकल्स' में शुमार नहीं.

यानी ये पन्ने इतने निष्पक्ष और संतुलित नहीं कि उन्हें जानकारी का मानक स्रोत माना जाए और 'प्रॉपगैन्डा वॉर' के इस दौर में इंटरनेट कार्यकर्ताओं के लिए ये एक लंबी लड़ाई का संकेत है.

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