सांसदों की सुविधाएँ बढ़ीं तो हम न लेंगे: भगवंत मान
हास्य कलाकार और पंजाब से सांसद भगवंत मान ने कहा कि यदि सांसदों के भत्ते या सुविधाएँ बढ़ाने की कोई ताज़ा बात होती है तो आम आदमी पार्टी इसका विरोध करेगी.
संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कहा है कि मोदी सरकार तो आ गई लेकिन अच्छे दिन कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं.
मान ने बीबीसी गूगल हैंगआउट के दौरान कहा कि बचपन से ही उन्हें बीबीसी हिंदी रेडियो सुनने की एक तरह से लत लग गई थी.
एक घंटे से अधिक चले इस प्रोग्राम के तहत उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर बात की और बीबीसी फ़ेसबुक के ज़रिए पाठकों के उठाए गए सवालों के भी जवाब दिए.
पढ़िए उनसे बातचीत का पूरा ब्यौरा
बातचीत की शुरूआत में ही उन्होंने अपनी ख़ास पगड़ी के बारे में कहा कि वो भगत सिंह से प्रभावित होकर ऐसी पगड़ी पहनते हैं और उन्हीं के सपनों को साकार करने के लिए वो राजनीति में आए हैं.
उनके अनुसार लोगों ने अपने दिलों में भगवंत मान को जगह दी है और उनके लिए सांसद बनने से ज़्यादा बड़ी बात यही है.
बीबीसी पाठकों ने उनसे कई गंभीर सवाल किए. ज़्यादातर सवाल इस बात को लेकर थे कि आम आदमी पार्टी राजनीति में आ तो गई है लेकिन वो राजनीति को गंभीरता से नहीं ले रही है.
इसके जवाब में भगवंत मान ने कहा कि वे स्वंय और उनकी पार्टी हमेशा कमज़ोर और ग़रीबों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
विजय गोयल का बयान निंदनीय
भाजपा नेता विजय गोयल के एक विवादास्पद बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि ये एक निंदनीय बयान है. उनके अनुसार देश में कोई भी कहीं रह सकता है, कहीं आ जा सकता है.
दर असल बीजेपी के राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने कहा था, ''दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों लोग अनाधिकृत कॉलोनियों में रह रहे हैं. साथ ही हर साल लाखों लोग दूसरे राज्यों से आ रहे हैं, इसलिए अगर दिल्ली का विकास करना है, तो दूसरे राज्यों का विकास भी करना होगा, जिससे बाहरी लोग दिल्ली में न आ पाएं.''
उन्होंने कहा कि संसद उनके लिए एक दूसरा स्टेज है जिसके ज़रिए वो आम आदमी की आवाज़ बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव के दिन पांच बजे के बाद आम आदमी की आवाज़ बंद हो जाती है, लेकिन वे चाहते हैं कि उनकी आवाज़ कभी बंद न हो.
इसी मौक़े से उन्होंने अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़े को ग़लत क़दम ज़रूर माना लेकिन इस फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि जो काम करता है उसी से ग़लतियां होती हैं.
उन्होंने कहा कि संसद में आप पार्टी के चारों सांसद आम आदमी के मुद्दों को उठाते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में ड्रग्स की समस्या बहुत बड़ी समस्या है और वे इसको संसद में उठाते रहते हैं.
घर रहने लायक़ नहीं है
पाठकों ने उन पर आरोप लगाए कि भगवंत मान आम आदमी पार्टी के सांसद होते हुए भी उनको मिले छोटे घर से नाराज़ हैं और उन्होंने बड़े घर की मांग की है.
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार सांसद होने के नाते उन्हें जो घर मिला है वो अभी रहने के लायक़ नहीं है.
उन्होंने कहा कि उन्हें घर के साइज़ को लेकर कोई परेशानी नहीं है लेकिन पहली बार चुनकर आए बीजेपी के कुछ सांसदों को स्पेशल कैटेगरी की आधार पर बड़े घर दिए गए हैं.
इस संदर्भ में उन्होंने राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबुल सुप्रीयो और परेश रावल के नाम गिनाए. भगवंत मान के अनुसार वे भी एक कलाकार हैं इसलिए उन्होंने केवल उसी आधार पर दूसरे घर की मांग की है.
उन्होंने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद भी अच्छे दिन कहीं नज़र नहीं आ रहें हैं.
क्षेत्रीय भाषा के पक्ष में
सांप्रदायिकता के मुद्दे पर ख़ामोश रहने के आरोप को नकारते हुए भगवंत मान ने कहा कि हाल ही में हुए सहारनपुर के दंगों को उन्होंने संसद में उठाया था.
यूपीएससी में सीसैट के मुद्दे पर देश भर में हो रहे आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी क्षेत्रीय भाषा के पक्ष में है.
आरक्षण के मुद्दे पर आप पार्टी का पक्ष साफ़ नहीं होने के आरोप का जवाब देते हुए भगवंत मान ने कहा कि आरक्षण को रोका नहीं जा सकता है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि आरक्षण का लाभ असली हक़दार लोगों तक पहुंचना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो दलितों के संघर्ष में पूरी ताक़त से शामिल हैं.
संसद में मोदी के अच्छे दिन पर उनकी कविता के लोकप्रिय होने पर उन्होंने कहा कि कविता में वे बातें कहीं जा सकती हैं जो घंटों के भाषण में संभव नहीं.
लेकिन एक कलाकार और एक सांसद में सामंजस्य के मामले में उन्होंने कहा कि एक कलाकार भगवंत मान ने वो कविता लिखी थी और सांसद मान ने वो कवित पढ़ी थी.
अंत में उन्होंने एक कविता भी सुनाई.
कविता के बोल कुछ यूं थे
इलेक्शन कमिशन ने जैसे ही जंगल में आम चुनाव ऐलाने
अपने-अपने चुनाव प्रचार पर लगे जानवर जाने
शेर जी बकरी के घर गए,
बोले- बहन जी सतश्री अकाल है और की हाल है.
बकरी बोली- हाल तो ठीक है लेकिन मेरा दिल बहुत हैरान है.
शेर मेरे आगे आकर दोनों हाथ जोड़ कर खड़ा है.
शेर बोला, बहनजी, अब हम जंगल में एकता और अखंडता से रहेंगे,
अपने मेमनों को समझा देना कि शेर अंकल अब कुछ नहीं कहेंगे.
अब आज के बाद अपना परिवार ख़ुशहाल रखना
आने वाले इलेक्शन में ज़रा मेरे चुनाव चिह्न का ख़्याल रखना.
रंग बिरंगी झंडियों से रंगा पड़ा था चंबल
बिल्लियां बांट रही थीं चूहों को कंबल
गीदड़ को कहा, आधा जंगल तेरा होगा
उल्लू को बोला, तू वोट डाल, दिन में भी अंधेरा होगा.
चूहों को कहा, चील नहीं रहेगी.
चीलों को आश्वासन दिया, चूहों की सप्लाई में ढील नहीं रहेगी.