सामूहिक बलात्कार मामले में एसआईटी का गठन

  • सलमान रावी
  • बीबीसी संवाददाता, रोहतक से

हरियाणा की सरकार ने दलित युवती के साथ तीन सालों के अंदर दोबारा हुए सामूहिक बलात्कार के मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम यानि एसआईटी का गठन किया है.

राज्य के पुलिस उप महानिदेशक मोहम्मद अक़ील ने बीबीसी को बताया कि जांच दल का नेतृत्व दो पुलिस उपाधीक्षक करेंगे जबकि कुल मिलाकर 6 सदस्य इसमें शामिल होंगे. दल 90 दिनों में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा.

इस बीच 13 जुलाई को हुए सामूहिक बलात्कार के तीन आरोपियों को बुधवार को अदालत में पेश किया गया जहां रोहतक पुलिस ने उन्हें रिमांड पर लेने की अर्ज़ी दाखिल की है.

रोहतक के पीजीआई अस्पताल के 26 नंबर वार्ड के गलियारों में पुलिस का कड़ा पहरा है. यहाँ 13 जुलाई को सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई 21 वर्षीय दलित महिला का इलाज चल रहा है. किसी के भी आने जाने पर रोक है.

यहां तैनात पुलिस के लोग बताते हैं कि पीड़ित बात करने की स्थिति में नही है. बा मुश्किल वो चंद शब्द बोल पाती हैं और फिर रोने लग जाती है.

पीड़ित लड़की ने बताया, "मैं एक दलित परिवार से हूँ. मेरे साथ 13 जुलाई को दुष्कर्म उन्हीं लोगों ने किया जिन्होंने 2013 में मेरे साथ ऐसा किया था. ऐसे लोग समाज में खुले नहीं घूमने चाहिएं। इन्हे सख़्त सज़ा मिले...... "

ये पीड़ित बात करते करते बीच में ही रोन लगती थी.

वार्ड में ही मौजूद पीड़ित के भाई ने कहा कि परिवार 2013 के सदमे से उबर पाया भी नहीं था और यह कांड हो गया.

भाई का कहना था, "पांच दिनों तक पुलिस हरकत में ही नहीं आयी. जब मेरी बहन ने सबकी पहचान कर ली और पुलिस को उनके नाम भी बता दिए तो फिर इतना वक़्त क्यों लगा ? पुलिस की मंशा उन्हें पकड़ने की थी ही नहीं. "

उनका आरोप है कि आरोपियों की तरफ से उनके परिवार को मामला वापस लेने के लिए पैसों का प्रलोभन भी दिया गया और,इंकार करने पर डराया-धमकाया भी गया जिसके वजह से वो भिवानी से रोहतक आ गए.

मामले में मंगलवार को गिरफ़्तार किए गए तीन में से दो अभियुक्त दो महीने पहले ही 2013 में हुए सामूहिक बलात्कार में आरोपी रहे हैं और उन्हें दो माह पहले अदालत से ज़मानत मिली थी.

लेकिन पुलिस उप महानिदेशक मुहम्मद अक़ील कहते हैं , ''पुलिस को इसलिए वक़्त लगा क्योंकि वो आरोपियों के ख़िलाफ़ सबूत इकट्ठा कर रही थी ताकि अदालत में पेश किया जा सके.''

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मगर पीड़ित के भाई का आरोप है कि चूँकि वो समाज के दबे कुचले वर्ग से आते हैं इसलिए पुलिस का रवैया ऐसा है.

वो कहते हैं कि समाज के इस रवैये की वजह से उनके परिवार ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था.

उनका कहना था, "हमें बौद्ध धर्म अपनाकर अच्छा लगा. अब हम जात पात की बंदिश से बाहर आ गए है लेकिन समाज का रवैया हमारे प्रति फिर भी नहीं बदला. हमें इंसाफ के लिए कितना संघर्ष करना पड़ रहा है."

वहीं आरोपियों में से एक जगमोहन के भाई हरबंस ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि उन्होंने पुलिस को सीसीटीवी के फुटेज दिए हैं जिससे साबित होता है कि उनका भाई घटना के वक़्त कहीं और था.

पुलिस इस फुटेज की जांच कर रही है. दूसरे आरोपी संदीप की पत्नी गरिमा का भी आरोप है कि उसके पति को फंसाया जा रहा है.

पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि विशेष जांच दल मामले की तफ्तीश जल्द शुरू कर देगी.

उनका कहना है की पांच आरोपियों में से एक की पहचान का सत्यापन नहीं हो पा रहा है.

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