बसपा के ‘अभद्र’ नारों की चौतरफ़ा आलोचना

  • समीरात्मज मिश्र
  • लखनऊ से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हज़रतगंज में बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान जिन अभद्र नारों का इस्तेमाल किया उसकी चारों ओर आलोचना हो रही है.

बीएसपी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को भाजपा से निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह की गिरफ़्तारी के अलावा ‘दयाशंकर सिंह की बहन को पेश करो’, ‘दयाशंकर सिंह की बेटी को पेश करो’ जैसे नारे लगाए थे.

राजनीतिक दलों के अलावा दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने भी इन नारों पर आपत्ति जताई है और अपने परिवार पर ख़तरा बताया है.

एक टीवी चैनल से बातचीत में स्वाति सिंह ने कहा कि इस पूरे विवाद के बाद उन पर और उनकी बेटियों पर की गई अमर्यादित टिप्पणियों से वे बेहद दुखी हैं.

दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह ने मायावती से पूछा है कि उनके पति ने गलती की है तो कानून उन्हें सजा देगा, लेकिन उनके परिवार और उनकी बेटियों को लेकर जो भद्दी टिप्पणियां की जा रही हैं, उनका जवाब कौन देगा?

स्वाति ने कहा कि इस तरह की भद्दी टिप्पणियों से उनकी बेटियां बहुत डर गई हैं.

इस मामले को लेकर दयाशंकर सिंह की मां त्रेता सिंह बसपा प्रमुख मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी के खिलाफ़ केस दर्ज करवाने जा रही हैं. ये जानकारी उनके वकील दिलीप श्रीवास्तव ने दी.

उनका कहना है कि जिस तरह दयाशंकर सिंह की 12 साल की बेटी को लेकर अभद्र बातें कही जा रही हैं वो बेहद दुखद हैं.

दयाशंकर सिंह ने बसपा नेता मायावती के ख़िलाफ़ पिछले दिनों अभद्र टिप्पणी की थी.

हालांकि दयाशंकर सिंह को उनकी पार्टी ने अगले ही दिन निष्कासित कर दिया था, लेकिन बसपा उनकी गिरफ़्तारी की मांग कर रही है. बीएसपी ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए 36 घंटे का समय दिया है और इस बीच अपना प्रदर्शन स्थगित रखा है.

इस बीच दयाशंकर की गिरफ़्तारी को लेकर पुलिस ने उनके कई ठिकानों पर छापे मारे. फ़िलहाल उनकी गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है. उनके ख़िलाफ़ बसपा नेताओं ने एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है.

बसपा नेताओं की नारेबाज़ी में इस्तेमाल हुई अभद्र भाषा की कई राजनीतिक दलों ने निंदा की है.

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भाजपा ने तो नारेबाज़ी करने वाले नेताओं पर कार्रवाई की भी मांग की है. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा का कहना है कि बसपा को इस मामले में राजनीति अब बंद कर देनी चाहिए.

श्रीकांत शर्मा याद दिलाते हैं कि जब लखनऊ में कथित गेस्ट हाउस कांड हुआ था, उस समय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ही उनके मान-सम्मान की रक्षा की थी.

बसपा नेताओं के प्रदर्शन के दौरान नारेबाज़ी में जब इस भाषा का इस्तेमाल हो रहा था उस समय बसपा के तमाम बड़े नेता और विधायक वहां मौजूद थे. ये सब पहले से तय था या फिर अचानक कुछ लोगों ने जोश में ऐसा कहा, इस पर बात करने के लिए बसपा का कोई नेता तैयार नहीं है.

इन नेताओं का कहना है कि प्रतिक्रिया देने का अधिकार सिर्फ़ नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को है और सिद्दीक़ी से तमाम कोशिशों के बावजूद बात नहीं हो सकी.

वहीं समाजवादी पार्टी ने कहा है कि राजनीति में इस तरह की अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई ज़रूर होगी.

पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि राजनीति में विरोध अपनी जगह है लेकिन भाषा की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए और जो इसका उल्लंघन करेगा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी.

जानकारों का कहना है कि इस घटना ने बसपा को बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया था. लेकिन गुरुवार को जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं ने नारेबाज़ी की है, उससे अब वो ख़ुद बैकफुट पर आ गई है.

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