कोयला घोटाले में पूर्व सीबीआई निदेशक के ख़िलाफ़ जाँच के आदेश
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के ख़िलाफ़ जांच का आदेश दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है.
सिन्हा पर सीबीआई निदेशक रहते हुए कथित कोयला घोटाला जांच में जानबूझ कर रुकावट डालने के आरोप लगे थे.
देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि सीबीआई ही रंजीत सिन्हा पर लगे आरोपों की जाच करे. वह इसके लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करे, जिसकी अगुवाई सीबीआई निदेशक करेंगे. वे सीबीआई के दो अफ़सरों की मदद ले सकते हैं.
यह पहली बार है जब सीबीआई ही अपने पूर्व निदेशक के ख़िलाफ़ लगे आरोपों की जांच करेगी.
जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि पहली नज़र में सिन्हा पर जाँच को प्रभावित करने का मामला बनता है.
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एमएल शर्मा की अगुवाई में एक दल का गठन किया था, जिसे यह रिपोर्ट दी थी.
आख़िर पूरा मामला क्या था?
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रंजीत सिन्हा जब सीबीआई प्रमुख थे, तब कोयला घोटाले का मामला उठा था और इस एजेंसी को जांच करने को कहा गया था.
सिन्हा पर आरोप लगे थे कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर पूरी जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी.
उन पर यह आरोप भी लगा था कि उन्होंने जान बूझकर जांच में रुकावट डालने की कोशिश की थी, ताकि जांच पूरी न हो सके.
सिन्हा पर आरोप लगा था कि उन्होंने कथित कोयला घोटाले के कुछ अभियुक्तों से मुलाक़ात की थी. हालाँकि उन्होंने इससे इंकार किया था.
उनके दफ़्तर में रखी डायरी की पड़ताल की गई, जिसमें उनसे मिलने वालों के नाम लिखे होते थे. यह पाया गया कि उन्होंने कुछ अभियुक्तों से मुलाक़ात की थी.
बाद में सिन्हा ने कहा था कि उन्होंने अभियुक्तों से मुलाक़ात इसलिए की थी कि उन्हें अपनी बात कहने का पूरा मौका मिले.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभियुक्तों से जांच एजेंसी के प्रमुख की "मुलाक़ात पूरी तरह अनुचित" थी.