बुनियादी जरूरतों को तरसता हुआ गोरखपुर का एक गांव

गोरखपुर का जंगलपकड़ी गांव

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गोरखपुर के जंगलपकड़ी गांव में हर साल सैकड़ों लोग जापानी बुख़ार का शिकार होते हैं.

कुछ को इलाज मिलता है और कुछ को नहीं. जिन्हें इलाज मिलता है, उन्हें भी इसके लिए भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है लेकिन ठीक होने की गारंटी तब भी नहीं होती.

गांव के दर्जनों परिवार इस बीमारी से जूझ रहे हैं. गांव में एक परिवार ऐसा भी है जहां के तीन बच्चे इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं. तीनों की जान तो बच गई लेकिन उनमें से एक विजय ज़िदगीभर के लिए अपाहिज हो गया.

विजय की मां बताती हैं कि उन्होंने अपने बच्चे को मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया था. इलाज का खर्च पूरा करते-करते उनका घर बिक गया. ज़मीन बिक गई.

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जापानी बुखार होने की एक बड़ी वजह गंदगी है. इस गांव की बात करें तो यहां साफ-सफाई की बुनियादी ज़रूरतें तक पूरी नहीं होतीं. घरों के बगल से नालियां गुज़रती हैं, जो महीनों तक साफ़ नहीं होतीं. नालियां बंद होने लगती हैं तो लोग खुद ही साफ़ करते हैं.

गांव-गांव में शौचालय का निर्माण कराना प्रधानमंत्री की कई प्रमुख योजनाओं में से एक है लेकिन इस गांव में शौचालय की भी पूरी व्यवस्था नहीं है.

गांव में तकरीबन 100 घर हैं लेकिन शौचालय महज़ 10 फीसदी लोगों के ही पास है. लोग खेतों में, सड़कों पर, पगडंडियों पर शौच के लिए जाते हैं. गंदगी इतनी है कि सड़कों पर चलना मुसीबत है.

लेकिन यहां डर सिर्फ जापानी बुख़ार का नहीं है. पानी से जुड़ी कई तरह की बीमारियां यहां आम हैं. गांव के ही एक शख़्स बताते हैं कि उन्हें पिछले 10 सालों से फाइलेरिया की समस्या है.

जंगलपकड़ी गांव की बदहाली का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अभी तक कई परिवारों के पास राशन कार्ड तक की सुविधा नहीं है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर से महज़ कुछ किलोमीटर की दूरी पर होने के बावजूद इस गांव को अब भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है.

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