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'ऐतिहासिक परिवर्तन का उदाहरण बनूंगा'
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गोरखपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और जान-माने भोजपुरी फ़िल्मों के अभिनेता मनोज तिवारी का कहना है कि वे दक्षिण
भारतीय कलाकारों की तरह समाज के समस्याओं को दूर करने के लिए काम करेंगे और 'ऐतिहासिक परिवर्तन' का उदाहरण बनेंगे.
मनोज तिवारी से उनकी राजनीति, राजनीति में प्रवेश की वजह, समाजवादी पार्टी को ही चुनने और अगर जीते को भविष्य की योजनाओं पर उनके चुनावी क्षेत्र में ही मैंने उनसे बात की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश. आप बिहार में भभुआ के रहने वाले हैं, शिक्षा बनारस में हुई, फिर मुंबई को अपनी कर्म भूमि बनाया, लेकिन चुनाव गोरखपुर से क्यों लड़ रहे हैं? बात सही है कि मैं भभुआ का रहने वाला हूँ, बनारस में मेरी शिक्षा हुई. लेकिन भभुआ, बनारस और मुंबई के बीच गोरखपुर आता है. गोरखपुरी मेरी कर्म भूमि रही है, मैंने पहली फ़िल्म गोरखपुर में ही की. जब चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया तो मैंने महसूस किया कि भोजपुरी की जो मशाल है वो गोरखपुर में ही मज़बूती के साथ जलती है. वो भोजपुरी में ही कहते हैं- 'एजिंगा जो भोजपुरी बोलल जा ले वो भोजपूरी हमनीका फिल्मन में यूज़ होवल ला, वोही भोजपुरी के असली भोजपुरी कहल जा ला. हमरे नज़र में और कोई शहर नइखे जहां प्योर भोजपुरी बोलल जात होखे. कहीं के भी रहे वाला होखे. वो भोजपूरी बोलत हो तो समझे ला कि वो गोरखपुर में ही सिखले बाटे. इही ला गोरखपुर हमरा के खींचे ला.' सबसे बड़ी बात यह है कि जहां काम करने के बाद सफलता मिलती है तो वो धरती खींचती है. गोरखपुर ने हमें सफलता दिलाया है इसलिए खींच रहा है. एक प्रसिद्ध गायक होने के बावजूद राजनीति में क़दम रखने की ज़रूरत क्यों महसूस की? जिन लोगों ने हमें स्टार बनाया और जिस स्टारडम से हमें प्रसिद्धि मिली, हमारा परिचय बड़े-बड़े लोगों से हुआ, उसका लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए मैं राजनीति में आया हूँ. ताकि अपनी उसी धरती के लिए, उन लोगों के लिए, कुछ कर सकूँ, जिन लोगों की वजह से मैं इस मुक़ाम पर पहुंचा हूँ. तो फिर समाजवादी पार्टी का विचार दिमाग़ में क्यों आया और कोई दूसरी पार्टी क्यों नहीं? समाजवादी पार्टी के अलावा कोई पार्टी भारत में नहीं है, ख़ास तौर पर उत्तर भारत में, जो कलाकारों का सम्मान करती हो. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और पार्टी के महासचिव अमर सिंह कला को बहुत पसंद करते हैं और कलाकार की इज़्ज़त करते हैं. उनका प्यार ही मुझे उनके साथ खड़ा किया है. इससे पहले भी आप गोरखपुर में चुनाव के समय आते रहें है. हरि शंकर तिवारी के चुनाव प्रचार में आएं हैं लेकिन अब आप उनके परिवार के उम्मीदवार के ख़िलाफ़ मोर्चा संभाल लिया है. कैसा अनुभव कर रहे हैं. तब हरि शंकर तिवारी का परिवार समाजवादी पार्टी में था, लेकिन अब वो दूसरी पार्टी में हैं, जबकि मैं आज भी उसी पार्टी में हैं. जब कुशल तिवारी जी सपा के टिकट पर ख़लीलाबाद से चुनाव लड़े थे तो मैंने उनका प्रचार किया था. हरि शंकर तिवारी का भी चुनाव प्रचार किया है. मैं समाजवादी पार्टी में ही हूँ, वे लोग दल-बदल करते हैं और अवसरवादी हैं.
गोरखपुर में जो लड़ाई है आपको क्या लगता है कि आपकी सीधी लड़ाई किससे है. क्या त्रिकोणीय लड़ाई है? यहां त्रिकोणीय लड़ाई नहीं है बल्कि सीधी लड़ाई है, भारतीय जनता पार्टी के योगी अदित्य नाथ और हमारे बीच हैं, तीसरा कोई लड़ाई में नहीं है. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार विनय शंकर तिवारी के परिवार ने कबीर, फिराक़, रौशन अली शाह और गोरखनाथ की धरती को अपराध की स्थली बना दिया है. इसलिए वो लड़ाई में नहीं हैं. जहां तक सवाल योगी अदित्य नाथ का है तो उन्होंने भोली-भाली जनता के साथ तिलिस्म खेल रखा है और जिसकी जाल में जनता फंसी थी. जब से पूर्वांचल पर प्रहार करने वाली शिवसेना का साथ उन्होंने दिया है जनता का उनसे दुराव हुआ है. मैं जब लोगों के बीच जाता हूँ तो कहता हूं कि अपने ही देश में शिवसेना पार्टी है जो उत्तर भारतीयों को भगाने के लिए क़ानून बनाती है और शिवसेना का समर्थन भारतीय जनता पार्टी करती है. इसलिए योगी अदित्य नाथ जिनकों पूर्वांचल के लोगों ने ह्दय सम्राट बना रखा था वहीं पूर्वांचल के शत्रुओं के साथ खड़े हैं. जब आप सड़को पर निकल रहे तो ख़ूब भीड़ इक्ट्ठा हो रही है, मनोज तिवारी को पर्दे पर देखने वाले, कैसट पर सुनने वाले, या कभी जिन लोगों ने देखा था. जो भीड़ उमड़ रही है, जो करिज़मा है, आपको क्या लगता है कि वो कितना वोट में बदल जाएगा. जितना दिख रहा है उससे चार गुना वोट में बदलेगा. मैं मंच पर साज़-बाज़ के साथ नहीं जाता, मैं सिर्फ़ अपने सभा में 20 मिनट के लिए पहुंचता हूँ लेकिन उतने ही समय में जब जनता मेरी बात सुनती है और चीज़ों को समझ कर जाती हैं तो चार और लोगों को तैयार करती है. मनोज तिवारी कलाकर है और लोगों को ख़ूब समझता है. वे लोग समझते हैं कि अगर सुख सुविधा में रहने वाला मनोज इस धूल मिट्टी में घूमता है तो यह बात तैय है कि कुछ तो धरती की तड़प उसमें हैं. ये आम रुझान रहा है कि फ़िल्मों या कला के क्षेत्र से राजनीति में क़दम रखने वालों ने लगभग लोगों को निराश किया है. उनसे बहुत ज्यादा हासिल नहीं किया जा सका है. क्या आपको लोग गंभीरतापूर्व ले रहे हैं. अपनी धरती के लिए राजनीति में आया हूँ और दक्षिण भारत की राजनीति की तरफ़ देखें. वहां लोगों ने काम किया है. जब तक क्षेत्रीय कलाकार राजनीति में नहीं आएगा तबतक सफ़ल नहीं रहेंगे. क्षेत्रीय कलाकार को अपनी ज़मीन की समस्याएं मालूम होती है. वह गाना भी गाते हैं तो उन्हीं समस्याओं पर. हमें समस्याओं के बारे में जानकारी है और शीर्ष नेतृत्व के साथ आया हूँ मैं टिकट के लिए लाइन में खड़ा नहीं था. मुझे मुलायम सिंह ने सह-सम्मान लाया है. पहली बार उत्तर भारत के किसी कलाकार को किसी शीर्ष नेतृत्व ने सम्मान दिया है. उसको नेता अपने बग़ल में बैठाता है. ये बहुत बड़ी बात है. मैं एक एक ऐतिहासिक परिवर्तन का उदारण बनूंगा जब लोग कहेंगे कि दक्षिण भारत की तरह उत्तर भारत में किसी कलाकार ने अच्छी राजनीति की है. |
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