ख़ाशोज्जी मामला : क्या अब सऊदी अरब में सर्वशक्तिमान नहीं रहेंगे क्राउन प्रिंस सलमान?
सऊदी अरब के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी ने जीवित रहते सऊदी सरकार और शाही परिवार को जितना परेशान किया, उनकी मौत के बाद सरकार और शाही परिवार की परेशानियां कहीं बढ़ी हुई नज़र आ रही हैं.
उनकी हत्या किसने की, किसके आदेश पर हुई, हत्या कैसे हुई और हत्या के बाद उनकी लाश कहां गई. इन तमाम सवालों के जवाब अभी भी तलाशे जा रहे हैं.
जवाब की तलाश में शक़ की सुई घूम फिरकर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की ओर पहुंच जाती है.
भले ही सऊदी के सरकारी अभियोजकों ने अपनी जांच में पाया है कि प्रिंस सलमान ने ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश नहीं दिया था और उन्हें इस हत्या के बारे में भनक तक नहीं थी फिर भी दुनिया के तमाम देश इस बात पर संदेह कर रहे हैं.
बीबीसी के सुरक्षा मामलों के संवाददाता फ़्रैंक गार्डनर का आंकलन है कि ख़ाशोज्जी हत्या मामले के बाद प्रिंस सलमान पर बहुत अधिक दबाव बन गया है.
सीआईए की रिपोर्ट
अमरीकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि फिलहाल अमरीका इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया है कि जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या किसने की.
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लेकिन मीडिया रिपोर्टों में अमरीकी ख़ुफिया एजेंसी सीआईए के हवाले से दावा किया गया है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ही पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश दिया था.
एजेंसी के क़रीबी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने तमाम सबूतों का विस्तृत अध्ययन किया है. अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के अभियान में प्रिंस की अनुमति आवश्यक होगी. सऊदी अरब ने इन दावों को झूठा बताया है.
बीबीसी संवाददाता फ़्रैंक गार्डनर का कहना है कि सीआईए की रिपोर्ट से कई पश्चिमी देश सहमत नज़र आते हैं. इसका आधार असल में वाशिंगटन में मौजूद प्रिंस सलमान के भाई प्रिंस ख़ालिद बिन सलमान और ख़ाशोज्जी के बीच फ़ोन पर हुई बातचीत है.
ख़ालिद बिन सलमान ने कथित तौर पर ख़ाशोज्जी को भरोसा दिया था कि वो दूतावास में सुरक्षित रहेंगे. यहीं पर बाद में खाशोज्जी की हत्या हुई थी.
फ़्रैंक गार्डनर बताते हैं कि प्रिंस सलमान पर शक़ होने की दूसरी वजह वो फ़ोन कॉल है जो हत्या वाले दिन किया गया था. ये फ़ोन कॉल दूतावास में ख़ाशोज्जी के साथ हाथापाई करने वाली टीम की ओर से रियाद में मौजूद प्रिंस सलमान के किसी ख़ास व्यक्ति को किया गया था.
इन दोनों फ़ोन कॉल के बाद ये विश्वास करना ही मुश्किल है कि प्रिंस सलमान को इस हत्या से जुड़ी कोई जानकारी नहीं रही होगी.
अमरीका का रुख़
प्रिंस सलमान की मौजूदा स्थिति में अमरीका का रुख़ बेहद महत्वपूर्ण है. मध्य पूर्व में अमरीका और सऊदी अरब अच्छे दोस्त माने जाते हैं.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने बताया है कि उन्हें मंगलवार को सीआईए की रिपोर्ट मिलेगी. उन्होंने सीआईए के डायरेक्टर जीना हास्पेल और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से भी इस बारे में बात की है.
प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने अधिक जानकारी तो नहीं दी लेकिन इतना ज़रूर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को सीआईए पर भरोसा है.
डोनल्ड ट्रंप इससे पहले कई बार दोहरा चुके हैं कि सऊदी अरब उनका बेहद महत्वपूर्ण साथी है.
प्रिंस सलमान पर सवाल
फ़्रैंक गार्डनर कहते हैं कि सऊदी सरकार भले ही प्रिंस सलमान को इस मामले से अलग करने की कोशिश करती रहे लेकिन ख़ाशोज्जी की हत्या को लेकर प्रिंस सलमान को नुक़सान भी उठाना पड़ रहा है.
गार्डनर कहते हैं इस पूरे प्रकरण के चलते अब पश्चिमी देश प्रिंस सलमान और सऊदी सरकार की ओर शक़ भरी निगाहों से देखेंगे.
गार्डनर मानते हैं कि इसका सबसे पहला असर सऊदी अरब की विदेश नीति पर पड़ेगा. पश्चिमी देश सऊदी अरब पर यमन के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने का दबाव बनाएंगे. इस युद्ध के चलते हज़ारों लोगों की मौत हो रही है.
घटेगी प्रिंस सलमान की ताक़त?
सऊदी अरब बहुत हद तक अमरीका पर निर्भर है और कुछ हद तक ब्रिटेन पर भी.
इसके साथ ही सऊदी पर दबाव बढ़ेगा कि वह क़तर के साथ अपने विवादों को जल्दी से जल्दी सुलझाए क्योंकि इस पूरे इलाके से अमरीका के हित जुड़े हुए हैं और वो यहां किसी तरह की अस्थिरता नहीं चाहता.
गार्डनर मानते हैं इस ख़ाशोज्जी की हत्या के चलते प्रिंस सलमान की अपने ही देश के भीतर ताक़त भी कम हुई है. अभी तक प्रिंस सलमान को युवा और नए-नए फ़ैसले लेने वाले शासक के रूप में पहचाना जा रहा था लेकिन इस मामले ने उनकी अनुभवहीनता को दर्शाया है.
गार्डनर कहते हैं कि प्रिंस सलमान पर पड़ रहा दबाव इतना अधिक है कि भले ही उन्हें उनकी गद्दी से ना हटाया जाए लेकिन उनके पर ज़रूर कतरे जाएंगे. साथ ही उनके साथ अब कुछ अन्य लोगों को शामिल किया जाएगा जो ज़िम्मेदारियां संभालेंगे.
कितने ताक़तवर हैं प्रिंस सलमान?
सऊदी अरब की सत्ता में प्रिंस सलमान के मुकाबले कोई नज़र नहीं आता.
महज़ 33 साल के प्रिंस सलमान ने बेहद तेज़ी से सऊदी अरब की सत्ता पर पकड़ बनाई.
वे पिछले साल जून में खुद से उम्र में बड़े प्रिंस मोहम्मद बिन नाएफ़ की जगह क्राउन प्रिंस बने और देखते ही देखते तमाम ताक़त अपने हाथों में कर ली.
प्रिंस सलमान के नियंत्रण में गृह मंत्रालय आता है इसी के अंतर्गत सऊदी खुफ़िया पुलिस भी है.
सलमान के पास नेशनल गार्ड का नियंत्रण भी है. नेशनल गार्ड राजशाही परिवारों की सुरक्षा करते हैं.
प्रिंस सलमान सऊदी के रक्षा मंत्री के तौर पर देश की सेनाओं का नियंत्रण भी अपने पास रखते हैं.
वे रॉयल कोर्ट के प्रमुख हैं और देश की आर्थिक नीतियां उन्हीं के इशारों पर चलती हैं. हालांकि राजा की गद्दी पर उनके पिता हैं लेकिन बीमारी के चलते सारा काम प्रिंस सलमान ही देखते हैं.
अक्टूबर में हुई ख़ाशोज्जी की हत्या से पहले ही प्रिंस सलमान अपनी कुछ नीतियों के चलते विवादों में घिर गए थे.
पिछले साल उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए दर्जनों शहजादों, व्यापारियों और सऊदी के प्रमुख अधिकारियों को जेल में बंद कर दिया था.
हालांकि, सऊदी अरब के युवाओं ने इस कदम की भी सराहना की लेकिन राजघराने में प्रिंस सलमान के बारे में अलग-अलग राय बनने लगी.
प्रिंस सलमान ने सऊदी अरब में पहली बार महिलाओं को कार चलाने की अनुमति दी.
इसके साथ ही अपने विज़न 2030 कार्यक्रम के तहत उन्होंने योजना बनाई कि वो तेल पर आधारित अपनी अर्थव्यस्था के लिए और भी नए आयाम तलाशेंगे जिसमें युवाओं के लिए नई तकनीक सबसे ज़रूरी होगी.
देखना दिलचस्प होगा कि ख़ाशोज्जी हत्या का मामला प्रिंस सलमान के पर किस कदर कतरता है और इससे प्रिंस सलमान की उड़ान पर कितनी लगाम लगती है.
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