कृषि बिल के विरोध में आज किसान संगठनों का चक्का जाम
संसद के दोनों सदनों से पारित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आज किसान संगठन देशभर में चक्का जाम करेंगे.
सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा.
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र को कार्पोरेट के हाथों में सौंपने की कोशिशों का हिस्सा हैं.
इन विधेयकों के ख़िलाफ़ सबसे व्यापक प्रदर्शन पंजाब और हरियाणा में हो रहे हैं.
पंजाब में तो गुरुवार को ही रेल रोको अभियान भी चलाया गया है.
किसान संगठनों का कहना है कि शुक्रवार को पूरे देश में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होगा.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उत्तर प्रदेश में आज चक्का जाम करने की तैयारियां की हैं.
बीकेयू से जुड़े किसान नेता धर्मेंद्र सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में आज सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक चक्का जाम किया जाएगा.
वहीं किसान संगठनों के संगठन अखिल भारतीय किसान आंदोलन समन्वय समिति ने आज देशभर में पूर्ण बंद का आह्वान किया है.
इस समिति में देश के 12 किसान संगठन शामिल हैं और ये किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी है. यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में इन संगठनों की व्यापक उपस्थिति है.
समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाले बंद में भारतीय किसान यूनियन, कर्नाटक राज्य किसान एसोसिएशन, तमिलागा विवासियगल संगम जैसे बड़े किसान संगठन शामिल होंगे.
राजनीतिक दल भी होंगे शामिल
सिर्फ़ किसान संगठन ही नहीं राजनीतिक दल भी अब इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब में बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दल इन विधेयकों के विरोध में हैं. कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह किसानों के प्रदर्शन में शामिल होगी.
पार्टी प्रवक्ता रणदीव सुरजेवाला ने एक बयान में कहा है कि पार्टी के लाखों कार्यकता किसान संगठनों के साथ खड़े रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विधेयकों का विरोध कर रही है. पार्टी चक्का जाम में शामिल होगी.
समाजवादी पार्टी भी हर ज़िले में प्रदर्शन करेगी और ज़िलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपेंगी. पार्टी के सांसदों ने संसद भवन के बाहर भी विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है.
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'पार्टी सभी जनपदों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से किसान विरोधी बिलों के ख़िलाफ़ ज्ञापन सौपेंगी.'
सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा पंजाब
शुक्रवार को बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब और हरियाणा में ही दिख सकता है जहां हाल के दिनों में किसानों ने कई बड़े प्रदर्शन किए हैं.
भारतीय किसान यूनियन की पंजाब ईकाई से जुड़े हरिंदर सिंह लखोवाल ने बीबीसी से कहा, "पंजाब में न रेल चलने दी जाएगी और ना ही बसे. सभी हाईवे पर चक्का जाम होगा. पूरे पंजाब में 200-250 जगह प्रदर्शन होंगे. जगह-जगह ट्रेन भी रोकी जाएगी.
उन्होंने कहा, "जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी के लिए क़ानून नहीं बनाया जाएगा, किसानों के प्रदर्शन जारी रहेंगे. आगे ये प्रदर्शन और तेज़ होंगे."
लखोवाल का कहना है कि पंजाब के गांवों में बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को न घुसने देने के तैयारी भी चल रही है और जल्द ही बीजेपी नेताओं का विरोध शुरू होगा.
भारतीय किसान यूनियन ने हरियाणा में भी चक्का जाम करने की तैयारियां की है. बीकेयू का कहना है कि प्रदेश में सभी किसान संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे.
विरोध कर रहे किसानों का तर्क है संसद में पारित विधेयक मंडी व्यवस्था को ख़त्म कर देंगे और किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
किसान संगठनों का ये भी कहना है कि सरकार इन विधेयकों के ज़रिए कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट जगत को सौंपना चाहती है.
सरकारों ने भी की तैयारियां
हरियाणा सरकार ने बंद के दौरान क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं. राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने गृह विभाग और पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है.
सरकार ने पुलिस को संयम बरतने के निर्देश भी दिए हैं. पंजाब सरकार ने भी बंद के मद्देनज़र क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं.
दिल्ली पुलिस भी अलर्ट पर है और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई गई है. हालांकि किसान संगठनों ने दिल्ली कूच न करने का ऐलान किया है.
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