इंडोनेशिया : प्रकृति बचाने को लड़ती अकेली औरत

  • हेलेन ब्रिग्स
  • बीबीसी संवाददाता
फ़रविज़ा फ़रहान

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इंडोनेशिया के सुमात्रा में स्थित लीज़र इकोसिस्टम धरती की एकमात्र जगह है जहां वनमानुष, गैंडे, हाथी और बाघ एक साथ रहते हैं. लेकिन आसपास विकसित हो रहे उद्योगों के चलते अब इस पर ख़तरे के बादल मंडराने लगे हैं.

इस इकोसिस्टम को बचाने के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता फ़रविज़ा फ़रहान अकेले संघर्ष कर रही हैं. साल 2012 में उनके एनजीओ यायासन हाका ने तेल बनाने वाली एक कंपनी के ख़िलाफ़ मुकदमा किया था. उन्होंने आरोप लगाए थे कि वो कंपनी गैरक़ानूनी परमिट के ज़रिए जंगलों को काट रही है.

फ़रविज़ा का कहना है कि वन्यजीवों के लिए कोई आवाज़ नहीं उठाता इसलिए उन्होंने अकेले ही संघर्ष करने के बारे में सोचा.

जंगलों का एहसास

जंगल और प्रकृति के प्रति अपने प्रेम को फ़रविज़ा कुछ यूं बयां करती हैं, ''ज़रा सोचिए कि आप एक बड़े से पेड़ की छांव में खड़े हैं और आप ऊपर देखते हैं तो आपको हॉर्नबिल की आवाज़ सुनाई देती है. इसके बाद आप आसपास देखते हैं तो आपको गिब्बन (बंदरों की एक प्रजाति) की आवाज़ कहीं दूर से सुनाई पड़ती है.

''आप देखते हैं कि एक मादा वानर अपने बच्चे को सीने से चिपकाए पेड़ की शाखाओं पर झूल रही है. और कुछ ही देर में आप पाते हो कि लंगूरों का एक झुंड आपकी तरफ दांत दिखाते हुए चीख रहा है.''

''इन सबके बीच कुछ दूरी से आपको मशीनों की आवाज़ भी सुनाई पड़ती है, आप उस आवाज़ को अपने करीब आता हुआ महसूस करते हो. जैसे-जैसे वो आवाज़ आपके और नज़दीक आने लगती है तो आप कोशिश करते हो कि कुछ भी करके इसे बंद कर दें और आस पास जो इतनी प्यारी आवाज़ें बह रही हैं उन्हें बचा लें.''

''आप जैसे-जैसे जंगल में बढ़ते जाते हो उसे बचाने का ख्याल उतना मज़बूत होता जाता है.''

सुमात्रा में पाया जाने वाला नर वानर

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कैसे हुआ प्रकृति से प्यार?

फ़रविज़ा फ़रहान को प्रकृति से इतना ज़्यादा प्रेम आखिर कैसे हो गया. इसके जवाब में कहती हैं, '' मैंने बीबीसी ब्लू प्लैनेट के कई कार्यक्रम देखे और इन्हें देखने के बाद मुझे इस प्रकृति से प्यार होने लगा. मैं समुद्र और उसमें पाए जाने वाले कोरल से प्यार करने लगी. मैंने बचपन में ही तय कर लिया कि मैं अपनी बाकी ज़िंदगी प्रकृति के लिए ही काम करूंगी.''

''इसके बाद मैंने मरीन बायोलॉजिस्ट की पढ़ाई की. मैं समुद्र से प्यार करती थी लेकिन मैंने देखा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का हाल बेहाल था. उनकी बुरी हालत देखकर मैं बहुत नाराज़ हुई.''

''उस वक़्त मैंने भोलेपन में सोचा कि मैं इस प्रकृति को बचाऊंगी. मैंने जंगलों को बचाने के बारे में सोचा कि इनके चारों ओर तार लगा दूंगी और ये बच जाएंगे.''

इंडोनेशिया में हुई जंगलों की कटाई

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लीज़र इकोसिस्टम पर ख़तरा

फ़रविज़ा बताती हैं कि लीज़र इकोसिस्टम पर सबसे अधिक ख़तरा बेतरतीब तरीके हो रहे विकासकार्यों का है.

वे कहती हैं, ''लीज़र इकोसिस्टम के ऊपर सबसे बड़ा ख़तरा उसके आसपास हो रहा अंधाधुध विकास है जिसकी वजह से इस पूरे इलाके का शोषण किया जा रहा है. बड़ी-बड़ी कंपनियां मुनाफे के लिए ताड़ का पेड़ लगाना चाहती है, क्योंकि दुनियाभर में इसकी बहुत मांग है. लेकिन इसकी वजह से यह पूरा इकोसिस्टम बर्बाद हो रहा है.

''जहां तक ताड़ के पेड़ से निकलने वाले तेल की बात है और इसके उपयोग की बात करें तो हम इसे पूरी तरह बंद नहीं कर सकते ना ही हम लोगों से यह बोल सकते हैं कि वो इस तेल को खरीदना ही बंद कर दें.

फ़रविज़ा लोगों से प्रकृति का एहसास करने की अपील करती हैं. वो कहती हैं कि हम एक ऐसे संसार में जी रहे हैं जहां बहुत अधिक सूचनाएं हैं.

वे कहती हैं, ''पहले मैं लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ने के लिए कहती थी और अब मैं लोगो से कहती हूं कि ज़्यादा से ज़्यादा देखो और अपने आसपास की जगहों का अनुभव प्राप्त करो.''

जंगलों को बचाने के लिए स्थानीय लोगों को जागरुक किया जा रहा है

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''सुमात्रा, अमेज़न और मदगास्कर जैसी जगहों का विकास के नाम पर बहुत अधिक शोषण हो रहा है. इसमें ताड़ के पेड़ लगाना भी शामिल है. अगर आप इन जगहों पर जाएंगे और देखेंगे कि अभी ये जगहें कैसी हैं और फिर आप इनके भविष्य के बारे में पता करेंगे तो आपको मालूम होगा कि पेड़ों की कटाई और ताड़ के पेड़ों को लगाने का कितना नुकसान हो रहा है.''

(फ़रविज़ा फ़रहान को प्रकृति से जुड़े उनके काम के लिए साल 2016 में व्हाइटली अवॉर्ड मिल चुका है.)

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