मणिपुर विश्वविद्यालय में अंशाति, विरोध प्रदर्शन जारी

  • रीना नोंगमेथम
  • मणिपुर से, बीबीसी हिंदी के लिए
मणिपुर विश्वविद्यालय

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पिछले दो दिनों में मणिपुर विश्वविद्यालय में 174 छात्र डर और असुरक्षा के बीच हॉस्टल छोड़ चुके हैं. वजह है 20 सितंबर को छात्रावासों में आधी रात को पड़े छापे और मणिपुर विश्वविद्यालय में चल रही अंशाति.

मणिपुर पुलिस कमांडो और भारतीय रिज़र्व बटालियन के सुरक्षाकर्मी पूरे कैंपस में तैनात हैं. यहां तक कि महिला छात्रावास भी रात-दिन नज़रबंद हैं जबकि छापे की घटना हुए चार दिन बीत चुके हैं.

प्रोफेसर जुगिंद्रो ने कुछ शिक्षकों और छात्रों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई थी कि जब वे विश्वविद्यालय के कुलपति का चार्ज लेने गए तो उन्हें कैद किया गया और दबाव में इस्तीफ़ा दिलवाया गया. इसके बाद कैंपस के पांच पुरूष छात्रावासों पर मणिपुर पुलिस कमांडो और सीआरपीएफ़ की टीमों ने छापे मारे.

विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास नंबर 2 की एक लड़की ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया, "हम बहुत असुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि पुरुष पुलिसकर्मी दिन-रात छात्रावास के गेट पर खड़े हैं."

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20 सितंबर को हुई शिक्षकों और छात्रों की गिरफ़्तारी पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए छात्रों को भी ऐसा करने से मना कर दिया गया.

एक छात्र ने कहा, "यह दुख की बात है कि हमारी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया है और सुरक्षाकर्मी हमें शक़ की नज़रों से देखते हैं."

दूसरी तरफ़ शिक्षक, सिविल सोसाइटी संगठन और कॉलेज के छात्रों ने गिरफ्तार छात्रों और शिक्षकों की बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए.

यहां एक विरोध रैली के दौरान एक कॉलेज के छात्र खांगेंगबम तंजानिया ने शिक्षा संस्थानों को एक युद्ध क्षेत्र में बदल दिए जाने की आलोचना की.

उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय कैंपस को फिर से सामान्य करिए. समस्या को हल करिए, हम शांतिपूर्ण माहौल में पढ़ना चाहते हैं. गिरफ़्तार शिक्षकों और छात्रों को छोड़ दिया जाए.

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मणिपुर विश्वविद्यालय की प्रोक्टर प्रोफेसर सुमित्रा फंजौबम भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं और उन्होंने भी सुरक्षा बलों को विश्वविद्यालय परिसर से हटाने की मांग की. उन्होंने कहा कि गिरफ़्तार लोगों को छोड़ दिया जाए क्योंकि एफ़आईआर में लिखे आरोप झूठे हैं.

विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर डब्ल्यू विश्वनाथ ने राज्य सरकार से गिरफ़्तार छात्रों और शिक्षकों को बिना शर्त रिहा करने की अपील की है.

मीडिया के लोगों से मुलाकात में उन्होंने कहा कि डीन, एचओडी और वरिष्ठ प्रोफेसरों को गिरफ्तार किया गया है और इन सभी शिक्षकों ने पिछले 30 सालों के दौरान कई छात्रों को पढ़ाया है और विश्वविद्यालय के विकास में इनका काफ़ी योगदान है.

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उन्होंने कहा, "यह चिंता का विषय है कि इन शिक्षकों को हिरासत में रखा गया है. मैं किसी को दोष नहीं देना चाहूंगा लेकिन मुझे लगता है कि उनकी गिरफ़्तारी शिक्षा के पेशे को सीधी चुनौती है."

मणिपुर यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के लोगों ने इन गिरफ़्तारियों को लेकर सोमवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन और निलंबित कुलपति एपी पांडे के पुतले भी जलाए.

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इन प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए "हम छात्रों और शिक्षकों की गिरफ़्तारी की निंदा करते हैं, हम इंटरनेट को बंद करने की निंदा करते हैं, हम विश्वविद्यालय परिसर के शांतिपूर्ण माहौल के ख़त्म करने की निंदा करते हैं."

इस बीच, मणिपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक अंगोम नारायण ने एक बयान में बताया है कि मणिपुर विश्वविद्यालय की सभी आगामी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है.

राज्य का ये सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान पिछले चार महीनों से कुलपति एपी पांडे को हटाए जाने की मांग को लेकर अशांत हैं.

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