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लाइव रिपोर्टिंग

रिपोर्टर- अभिजीत श्रीवास्तव, भूमिका राय और अनंत प्रकाश

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  1. क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगा सकती है सरकार, बजट में हो सकता है कानून में बदलाव

    क्रिप्टोकरेंसी

    केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को टैक्स के दायरे में लाने के लिए आयकर कानूनों में बदलाव पर विचार कर रही है और कुछ बदलाव के साथ ये अगले साल के बजट का हिस्सा बन सकती हैं.

    राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि आयकर के संदर्भ में, कुछ लोग पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर टैक्स का भुगतान कर रहे हैं, और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संबंध में भी कानून "बहुत स्पष्ट" है कि इस पर भी अन्य सेवाओं की तरह ही दर लागू होगी.

    तरुण बजाज ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि "हम निर्णय लेंगे. मैं समझता हूं कि पहले से ही लोग इस पर टैक्स भर रहे हैं. अब जब इसमें बहुत ज़्यादा वृद्धि हो रही है, तो हम देखेंगे कि इसके लिए कानून में कुछ बदलाव लाने हैं या नहीं. लेकिन यह एक बजट गतिविधि होगी. हम बजट के करीब हैं, हमें इसे समय के हिसाब से देखना होगा.

    यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) का प्रावधान पेश किया जा सकता है, सचिव ने कहा, कि "अगर कोई नया कानून लाया जाता हैं तो हम देखेंगे कि वह क्या होगा."

    उन्होंने कहा, 'लेकिन हां, अगर आप पैसा कमाते हैं तो आपको टैक्स देना होगा... हमें पहले ही कुछ टैक्स मिला है, कुछ ने इसे संपत्ति माना है और इस पर कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान किया है.'

    यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में शामिल लोगों को फैसिलिटेटर, ब्रोकरेज और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और जीएसटी के तहत टैक्सेशन कैसे किया जाएगा?

    इस बजाज ने कहा, कि "अन्य सेवाओं में ऐसी चीजें पहले से ही उपलब्ध होंगी. इसलिए जीएसटी की जो भी दर है, उन पर लागू होगी."

    उन्होंने कहा, कि "उन्हें खुद को पंजीकृत करवाना होगा. जीएसटी कानून बहुत स्पष्ट है. अगर कोई गतिविधि है, अगर कोई ब्रोकर है जो लोगों की मदद कर रहा है और ब्रोकरेज फ़ीस ले रहा है, तो जीएसटी वसूला जाएगा."

  2. पाकिस्तान ने पूछा- भारत का नाम क्यों नहीं है?

    इमरान ख़ान

    अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के आधार पर बनाई गई 'कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न' की सूची में पाकिस्तान को शामिल किया है लेकिन पाकिस्तान ने अमेरिकी रिपोर्ट को मनमाना क़रार देते हुए ख़ारिज कर दिया है.

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिखार ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, "पाकिस्तान को 'विशेष चिंता वाले देश' की श्रेणी में डालना ज़मीनी हक़ीक़त के बिल्कुल ख़िलाफ़ है और इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है."

    अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए 'कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न' यानी सीपीसी की सूची जारी की है.

    धार्मिक आज़ादी का आकलन करने वाले एक अमेरिकी पैनल 'यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम' की इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन इसके बावजूद बाइडन प्रशासन ने भारत का नाम सूची में शामिल नहीं किया.

    पाकिस्तान ने पूछा- भारत का नाम क्यों नहीं है?

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान

    पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की सूची को ख़ारिज कर दिया और भारत के नाम नहीं होने को दुर्भाग्यपूर्ण कहा है.

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  3. कुपोषण और भुखमरी की समस्या क्यों नहीं ख़त्म हो रही?

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    Video caption: Cover Story: क्यों नहीं ख़त्म हो रही कुपोषण, भुखमरी की समस्या?

    यूं तो इंसान पांच दशक पहले चांद पर पहुंच गया, लेकिन इसी दुनिया में आज भी करोड़ों लोगों को चांद रोटी में नज़र आता है. आज भी दो वक्त की रोटी इस दुनिया में सबको नसीब नहीं है और हर दिन न जाने कितने बच्चे पूरी दुनिया में भूख और कुपोषण से दम तोड़ देते हैं, जिसकी कभी सटीक गिनती भी नहीं हो पाती.

    संयुक्त राष्ट्र और ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं. कवर स्टोरी में इसी की चर्चा.

  4. पीएम मोदी ने तीनों कृषि क़ानून वापस लेने की घोषणा की

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    Video caption: पीएम मोदी ने तीनों कृषि क़ानून वापस लेने की घोषणा की

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की है.

    तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में किसान पिछले एक साल से ज़्यादा वक़्त से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

    मोदी सरकार अब तक तीनों क़ानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं थी. लेकिन पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले तीनों क़ानूनों के वापस लेने की घोषणा की है.

    प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा, ''आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूँ कि हमने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे. हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, ख़ासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गाँव ग़रीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये क़ानून लेकर आई थी.''

    प्रधानमंत्री ने तीन विवादित कृषि क़ानूनों का ज़िक्र करते हुए कहा, ''हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि क़ानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया. किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि क़ानून लाए गए थे.''

  5. मथुरा में मंदिरों में फोटो खींचकर पैसा कमाने वालों का हाल

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    Video caption: मथुरा में मंदिरों में फोटो खींचकर पैसा कमाने वालों का हाल

    ये उत्तर प्रदेश का बरसाना शहर है जहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. यहां कई लोग फोटोग्राफी के बिजनेस से जुड़े हैं. लेकिन अब इन लोगों पर रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

    कोरोना ने इन फोटोग्राफरों की हालत और ख़राब कर दी. हालांकि कभी-कभी कुछ अच्छे दिन भी आ जाते.

  6. कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद क्या बोले राकेश टिकैत?

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    Video caption: कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद क्या बोले राकेश टिकैत?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है. पीएम मोदी ने शुक्रवार सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में यह घोषणा की.

    उन्होंने कहा कि वो किसानों के हित के लिए यह क़ानून लाए थे लेकिन कुछ किसानों को वो अपनी बात समझा नहीं पाए.

    तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में किसान पिछले एक साल से ज़्यादा वक़्त से विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे.

    तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन के अगुआ रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पीएम मोदी की घोषणा पर ट्वीट कर कहा, ''आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि क़ानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे.''

  7. फ़िलीपींस का चीन ने रोका रास्ता, अमेरिका ने चेताया

    चीन

    दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के आमने-सामने आने के बाद अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है.

    समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक अमेरिका ने कहा है कि यदि क्षेत्रीय शांति को कोई ख़तरा पहुंचता है तो वह फिलीपींस का साथ देगा.

    अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक बयान में कहा है कि चीन को फिलीपींस के एक्सक्लुसिव इकोनॉमिक ज़ोन में फ़िलीपींस की क़ानूनन गतिविधियों में कोई दख़ल नहीं देना चाहिए.

    गुरुवार को दक्षिण चीन सागर के एक फ़िलीपींस के नियंत्रण वाले अटॉल की तरफ़ जा रही फ़िलीपींस की नौकाओं को चीन के तटरक्षकों के तीन जहाज़ों के दल ने रोका था और उनके खिलाफ़ पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया था. फ़िलीपंस ने इस घटना की सख़्त शब्दों में आलोचना की है.

    अमेरिका की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका ये मानता है कि दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति और आक्रामक गतिविधियां क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं.

    ये घटना ऐसे समय हुई है जब हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तीन घंटे लंबी वीडियो कॉल पर कई मुद्दों पर चर्चा की है.

  8. गुरुग्राम के गुरुद्वारे में नहीं हुई नमाज़, कुछ सिखों ने किया विरोध, हिंदू गुटों ने बांटी किताबें

    नमाज़

    शुक्रवार को गुरुग्राम के गुरुद्वारा सिंह साहिब में नमाज़ नहीं हो सकी. सिख समुदाय के कुछ लोगों ने गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के मुसलमानों को नमाज़ अदा करने देने के निर्णय का विरोध किया है.

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इन लोगों का कहना है कि यदि प्रबंधन समिति मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने देगी तो वो इसका विरोध करेंगे. इसी बीच कट्टरवादी हिंदू समूह संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के सदस्य भी गुरुद्वारा पहुंचे और यहां 'गुरु तेग बहादुरः हिंद की चादर' किताब की प्रतियां बांटी. इस समूह के लोग यहां दो बजे तक रहे.

    वहीं मुसलमान समुदाय के लोगों ने गुरुद्वारे में नमाज़ ना पढ़ने का निर्णय लिया ताकि गुरु पर्व के मौके पर कोई विवाद न हो.

    प्रबंधन समिति के प्रवक्ता दया सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने गुरुदवारे के बेसमेंट और एक स्कूल में मुसलमान भाइयों को नमाज़ पढ़ने की जगह मुहैया कराई थी लेकिन उन्होंने विवाद से बचने के लिए नमाज़ न पढ़ने का फ़ैसला लिया.

    सांकेतिक तस्वीर
    Image caption: सांकेतिक तस्वीर

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गुरुग्राम मुस्लिम परिषद के सह-संस्थापक अल्ताफ़ अहमद औ जमियत उलेमा हिंद से जुड़े मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने गुरुद्वारा पहुंचकर प्रबंधन समिति के सदस्यों का शुक्रिया अदा किया.

    अहमद ने कहा कि वो सिख समुदाय के लिए किसी तरह की परेशानी खड़ी करना नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने सिखों के दिल में नमाज पढ़ ली है.

    इसी बीच सेक्टर 12 में मुसलमानों के समूह ने अक्षय यादव की जगह पर नमाज़ पढ़ी है. ये दूसरा शुक्रवार था जब यहां लोग नमाज़ पढ़ने पहुंचे हैं.

    खुले में नमाज़ का विरोध करते हिंदू संगठन

    वहीं संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के क़ानूनी सलाहकार कुलभूषण भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने गुरुद्वारे के बाहर किताब की 25 हजार प्रतियां बांटी हैं. भारद्वाज ने कहा कि वो विरोध करने नहीं आए थे क्योंकि वो किसी के परिसर के भीतर प्रार्थना करने के विरोध में नहीं है. उन्होंने कहा कि उनका विरोध खुले स्थानों में नमाज़ को लेकर है.

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    गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ पढ़ने को लेकर विवाद चल रहा है. हिंदू संगठन मुसलमानों के नमाज़ पढ़ने का विरोध कर रहे हैं. गुरुग्राम प्रशासन ने कुल 37 जगहों पर खुले में नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी थी. लेकिन विरोध के बाद अब बीस स्थानों पर ही खुले में नमाज़ पढ़ने की अनुमति है.

    गुरुद्वारा प्रबंध समिति के मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने देने के प्रस्ताव की ख़ूब तारीफ़ हुई लेकिन सिख समुदाय में सभी इससे सहमत नहीं है. स्थानीय सिख जवहार सिंह ने कहा, वो गुरुद्वारे में नमाज़ अदा नहीं कर सकते हैं. श्री गुरु ग्रंथ साहिब इसकी अनुमति नहीं देते हैं. प्रबंधन समिति ने भले ही इसकी अनुमति दी हो लेकिन हम इसका समर्थन नहीं करते हैं.

    वहीं गुरुचण सिंह का कहना था कि सभी धर्मों के लोगों का यहां स्वागत है लेकिन गुरुद्वारे में गुरुवाणी के अलावा किसी और चीज़ को अनुमति नहीं है. गुरुद्वारे की संपत्ति का ऐसा कोई इस्तेमाल नहीं किया जा सकता जो गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा से बाहर हो.

  9. मोदी सरकार ने किसानों की बात मान ली, अब उन्हें घर लौट जाना चाहिए: केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री

    किसान आंदोलन

    मोदी सरकार में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने शुक्रवार को किसानों से घर वापस लौटने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की उनकी मांग को मान लिया है, इसलिए अब उन्हें घर लौट जाना चाहिए. लेकिन किसान एमएसपी की क़ानूनी गारंटी मिलने तक विरोध जारी रखने पर अड़े हुए हैं.

    पीटीआई से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि लंबे समय से इस तरह के क़ानूनों की मांग के बाद, ये तीन कृषि क़ानून किसानों के हित में लाए गए थे. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने भी इन क़ानूनों को लाने की कोशिश की थी. हालांकि, किसान समुदाय के एक वर्ग ने सरकार और किसान संघों के प्रमुख प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद इन क़ानूनों को समझने की कोशिश नहीं की है.

    चौधरी ने कहा कि "चर्चा के बाद भी उन्होंने इन क़ानूनों को समझने की कोशिश नहीं की. मुझे लगता है कि हम कुछ किसानों को समझाने में सफ़ल नहीं हो सके. इसलिए बड़े दिल से प्रधानमंत्री जी ने इन तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त करने का ऐतिहासिक फ़ैसला लिया है."

    किसान आंदोलन

    उन्होंने कहा कि क़ानूनों को निरस्त करने का निर्णय चर्चा के बाद लिया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि क़ानूनों को किसानों के फ़ायदे के लिए लागू किया गया था, लेकिन किसानों को लाभ प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. किसान संगठनों ने फ़ैसला किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिलने तक आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा.

    कृषि मंत्री ने कहा कि "क्या इससे बड़ा भी कोई फ़ैसला हो सकता है, जो प्रधानमंत्री ने किसानों के एक छोटे से वर्ग के हित को ध्यान में रखते हुए लिया है? उनकी मांग क़ानून वापस लेने की थी और यह मांग अब पूरी हो गई है." उन्होंने आगे कहा कि किसान संगठनों के नेताओं को अब इसपर अड़े नहीं रहना चाहिए. "अब घर वापसी होनी चाहिए, अपनी खेती पर ध्यान देना चाहिए."

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में विवादास्पद तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर एक कमिटी गठित करने और ज़ीरो-बजट खेती को बढ़ावा देने की घोषणा की.

    किसान आंदोलन

    इससे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा, कि "किसानों का आंदोलन केवल तीन काले क़ानूनों को निरस्त कराने के लिए नहीं है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी क़ीमतों के लिए वैधानिक गारंटी के लिए भी है. किसानों की यह महत्वपूर्ण मांग अभी पूरी नहीं हुई है."

    संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग भी अभी बाकी है.

    भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, कि संसद में तीनों कृषि विरोधी क़ानूनों के निरस्त होने और फ़सलों के लिए एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी के बाद ही आंदोलन वापस लिया जाएगा.

  10. रांची में दूसरा टी-20ः भारत के सामने 154 रनों का लक्ष्य

    न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज़

    भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच दूसरा टी-20 मुक़ाबला रांची में खेला जा रहा है. भारत ने टॉस जीतकर न्यूज़ीलैंड को पहले बल्लेबाज़ी का न्योता दिया.

    न्यूज़ीलैंड ने निर्धारित 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 153 रन बनाए हैं.

    न्यूज़ीलैंड की शुरुआत शानदार रही. ओपनर मार्टिन गुप्टिल ने तेज़ी से खेलते हुए 15 गेंदों में 31 रन बनाए.

    गुप्टिल पांचवें ओवर में दीपक चाहर की गेंद पर कैंच आउट हुए. तब तक न्यूज़ीलैंड का स्कोर 48 रन हो चुका था.

    तीसरे नंबर पर आए मार्क चैपमैन ने संभलकर खेलने की कोशिश की. चैपमैन 17 गेंदों पर 21 रन बनाकर आउट हुए.

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    न्यूज़ीलैंड का दूसरा विकेट नौवें ओवर की पांचवी गेंद पर गिरा. उन्हें अक्षर पटेल ने केएल राहुल के हाथों कैंच कराया.

    इसके बाद ओपनर डेरिल मिशेल भी हर्षल पटेल की गेंद पर सी सूर्यकुमार को कैंच थमा बैठे. उन्होंने 28 गेंदों पर 31 रन बनाए. न्यूज़ीलैंड का तीसरा विकेट 90 रनों के स्कोर पर गिरा और चौथा 125 रन के स्कोर पर.

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    न्यू़ज़ीलैंड के विकेट भले ही गिरते रहे लेकिन बल्लेबाज़ ने रनों की रफ़्तार को बरकार रखा.

    भारत की तरफ से भूवनेश्वर कुमार गेंदबाज़ी में महंगे साबित हुए. उन्होंने 4 ओवरों में 39 रन देकर एक विकेट लिया.

    भारत की तरफ़ से रविचंद्रन अश्विन ने सबसे किफ़ायती गेंदबाज़ी की. उन्होंने 4 ओवरों में 18 रन देकर एक विकेट लिया. वहीं हर्षल पटेल ने चार ओवरों में 25 रन देकर दो विकेट लिए.

    पहले मैच में भारत ने न्यूज़ीलैंड को पांच विकेट से हरा दिया था.

    कोहली से आगे निकले गुप्टिल

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    रांची में 31 रनों की पारी के साथ ही मार्टिन गुप्टिल टी-20 में रन बनाने के मामले में नंबर वन खिलाड़ी हो गए हैं. गुप्टिल भारत के पूर्व टी-20 कप्तान विराट कोहली से आगे निकल गए हैं.

    विराट कोहली ने 3227 रन बनाए हैं जबकि आज की पारी के साथ गुप्टिल का स्कोर 3248 रन हो गया है.

  11. कृषि क़ानूनों को रद्द करके पंजाब चुनाव में अमरिंदर सिंह से गठबंधन करेगी बीजेपी?

    अमरिंदर सिंह और अमित शाह

    किसान क़ानून रद्द करके पंजाब के चुनाव में अमरिंदर सिंह से गठबंधन करेगी बीजेपी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा से आगामी पंजाब चुनावों में बीजेपी का चुनाव अभियान मज़बूत हो सकता है.

    बीजेपी किसान नेताओं के विरोध की वजह से पंजाब में लोगों के बीच नहीं जा पा रही थी.

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बीजेपी पंजाब में पूर्व-कांग्रेसी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की नई पार्टी के साथ गठबंधन भी कर सकती है. प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बाद अमरिंदर सिंह ने संकेत दिए हैं कि वो किसानों के मुद्दे पर बीजेपी की केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर सकते हैं.

    कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर ही शिरोमणि अकाली दल बीजेपी की केंद्रीय सरकार से अलग हो गई थी. अब ये गठबंधन भी फिर से ज़िंदा हो सकता है. मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद जब अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी तब उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर आगामी चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे.

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    अमरिंदर ने कहा था कि यदि कृषि क़ानूनों पर विरोध का मुद्दा हल होता है तो वो बीजेपी के साथ मिलकर काम कर सकते हैं. अमरिंदर सिंह इससे पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात कर चुके हैं.

    उन्होंने कहा था कि गृहमंत्री के साथ किसानों के मुद्दे पर चर्चा की और उनसे किसानों के मुद्दे को आपात स्तर पर हल करने की अपील की.

    प्रधानमंत्री मोदी

    पंजाब की विधानसभा में 117 सीटें हैं. आगामी चुनावी मुकाबले में कांग्रेस, एसएडी-बीएसपी गठबंधन, बीजेपी, अमरिंदर सिंह की पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच मुक़ाबला होगा. कांग्रेस के सामने सत्ता बचाने की चुनौती होगी. वहीं आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी ज़मीन मज़बूत करने में जुटी है. बीजेपी राज्य में एसएडी के साथ सत्ता में रही है. अब एक बार फिर से ये गठबंधन ज़िंदा हो सकता है.

    शुक्रवार को प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया. अमरिंदर सिंह ने कहा, "ये सिर्फ़ किसानों के लिए ही बड़ी राहत नहीं है बल्कि इसने पंजाब की प्रगति का रास्ता भी साफ़ किया है. मैं बीजेपी के नेतृत्व में किसानों के हितों के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक हूं."

    प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को गुरुपर्व के मौके पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने का फ़ैसला लिया है. इन विवादित क़ानूनों के विरोध में देशभर के किसान दिल्ली की सरहदों पर बीते एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं.

  12. मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस क्यों लिया?

    किसान आंदोलन

    मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने 20 अक्टूबरको बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कहा था, "कृषि क़ानून पर केंद्र सरकार को ही मानना पड़ेगा, किसान नहीं मानेंगे"

    और एक महीने बाद उनकी ये बात सच साबित हो गई.

    मोदी सरकार ने नए कृषि क़ानून वापस लेने का फैसला लिया है. इसकी टाइमिंग की चर्चा खूब हो रही है.

    दस दिन बाद संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है.

    26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर किसानों ने आंदोलन को और तेज़ करने की घोषणा पहले से की हुई है.

    पाँच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है, जिनमें उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. जहाँ एक दिन पहले ही अमित शाह को पश्चिम उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई थी.

    लेकिन गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा कर सबको चौंका दिया. सोशल मीडिया पर इसके साथ ही 'मास्टर स्ट्रोक' ट्रेंड कर रहा है जिनमें दावा किया जा रहा है कि ये फ़ैसला एक मास्टर स्ट्रोक है.

    मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस क्यों लिया?

    कृषि क़ानून

    तीन कृषि क़ानून को वापस लेने की घोषणा करके मोदी सरकार ने सबको चौंका दिया. आख़िर एक साल बाद ऐसा क्या हुआ कि मोदी सरकार को किसान आंदोलन की याद आई?

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  13. क़द छोटा पर नाम बॉडी बिल्डिंग के लिए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में

    प्रतीक विट्ठल मोहिते

    कहते हैं न कि आपके हौसले यदि बुलंद हों, तो कामयाबी आख़िर कदम चूम ही लेती है.

    कुछ करने का जज़्बा और लगन यदि है तो कुछ भी आड़े नहीं आ सकता, फिर वो ख़ुद का शरीर ही क्यों न हो. अपनी मेहनत और समर्पण से 26 साल के प्रतीक विट्ठल मोहिते ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है.

    प्रतीक ने अपने नाम दुनिया का सबसे छोटा प्रतिस्पर्द्धी बॉडी बिल्डर होने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज करा लिया है. इनकी ऊंचाई महज़ 3 फ़ीट और 4 इंच है.

    इस बारे में प्रतीक कहते हैं कि गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के लिए उन्होंने तीन बार प्रयास किया, पर हर बार अस्वीकार कर दिया गया.

    लेकिन उन्होंने चौथी बार पूरी तैयारी के साथ अपना नाम भेजा, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया. इसके साथ ही, विश्व रिकॉर्ड का ख़िताब अब उनके नाम हो गया है.

    क़द छोटा पर नाम बॉडी बिल्डिंग के लिए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में

    प्रतीक विट्ठल मोहिते

    26 साल के प्रतीक विट्ठल मोहिते को दुनिया के सबसे छोटे क़द का 'कॉम्पटेटिव बॉडी बिल्डर' होने के लिए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है.

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  14. सीवर साफ़ करनेवालों की माँग, ठेकेदारी प्रथा ख़त्म हो

    सीवर सफाई कर्मी

    भारत की राजधानी दिल्ली में संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर सीवर सफाई का काम करने वालों पर भारतीय श्रम कानून के बुनियादी मानदंड भी लागू नहीं होते हैं.

    उन्हें भविष्य निधि से लेकर ईएसआई एवं बीमा आदि की सुविधा नहीं मिलती है.

    ये जानकारी दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच द्वारा कराए गए एक सर्वे में सामने आई है.

    दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच ने गुरुवार शाम अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि "सीवर साफ़ करने का काम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद हानिकारक है. इसे करते हुए मौत भी होती है. ऐसे में सरकार को इस तरह के कामों में ठेकेदारी की प्रथा को पूरी तरह समाप्त करके सभी सीवर सफाई कर्मियों का नियोजन करना चाहिए."

    सीवर साफ़ करनेवालों की माँग, ठेकेदारी प्रथा ख़त्म हो

    सीवर सफाई कर्मी

    राजधानी दिल्ली में सीवर साफ करने वालों के बारे में कराए गए एक सर्वे का कहना है कि इन कर्मियों के साथ भारत का बुनियादी श्रम क़ानून भी नहीं लागू होता.

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  15. रेलवे ने लिया फ़ैसला, अब यात्रियों को परोसा जा सकेगा पकाया हुआ खाना

    रेलवे

    रेलवे बोर्ड ने ट्रेन से सफ़र करने वाले यात्रियों के लिए एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए कहा है कि अब उन्हें सफ़र के दौरान पकाया हुआ खाना परोसा जा सकेगा.

    कोरोना महामारी की वजह से लगाई गई पाबंदियों के कारण रेलवे ने पकाया हुआ खाना यात्रियों को देना बंद कर दिया था.

    शुक्रवार को रेलवे बोर्ड ने अपना आदेश जारी करते हुए रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी को खान-पान सेवा फिर से शुरू करने के लिए कहा है.

    रेलवे बोर्ड ने ये भी कहा है कि यात्रियों के लिए रेडी-टू-ईट फूड की सर्विस पहले की तरह जारी रहेगी.

    इस आदेश में कहा गया है, "रेल सेवाओं की बहाली, यात्रियों की ज़रूरत और देश भर में खान-पान और होटल सेवाओं में कोविड प्रोटोकॉल से जुड़ी पाबंदियों में दी जा रही ढील को देखते हुए रेल मंत्रालय ने ये फ़ैसला किया है कि ट्रेनों में पकाया हुआ खाना यात्रियों को परोसा जा सकेगा."

    इस महीने की शुरुआत में रेलवे ने ये एलान किया था कि स्पेशल टैग हटाकर सामान्य ट्रेनें फिर से चलाई जाएंगी.

    कोरोना महामारी को देखते हुए कई रेलगाड़ियों में स्पेशल टैग लगाकर उनका परिचालन किया जा रहा था.

  16. घट गया भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

    डॉलर

    भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 76.3 करोड़ डॉलर की गिरावट हुई है और 12 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.112 अरब डॉलर रह गया है.

    वहीं 5 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.145 अरब डॉलर की गिरावट आई थी और ये 640.874 अरब डॉलर रह गया था.

    भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 642.452 अरब डॉलर था जो अब तक का सर्वोच्च था.

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) में गिरावट की वजह से है.

    भारत के रिज़र्व बैंक ने ये जानकारी दी है. आरबीआई के डाटा के मुताबिक एफसीए में इस सप्ताह 2.094 अरब डॉलर की गिरावट आई है और ये 575.487 अरब डॉलर रह गया है.

    वहीं स्वर्ण भंडार में 1.461 अरब डॉलर की वृद्धि हुी है और यह इस समय 40.239 अरब डॉलर है.

  17. बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर', 19 नवंबर 2021

    सुनिए मोहनलाल शर्मा से

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  18. कृषि क़ानूनों को वापस लिया जाना किसानों की जीत: सोनिया गांधी

    सोनिया गांधी

    कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा है कि तीनों किसान कानूनों को वापस लिया जाना इस देश के किसानों की इच्छाशक्ति की जीत है.

    उन्होंने कहा, “लगभग 12 महीने के गांधीवादी आंदोलन के बाद आज देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं-किसानों-खेत मजदूरों के संघर्ष व इच्छाशक्ति की जीत हुई. आज उन 700 से अधिक किसान परिवारों की कुर्बानी रंग लाई, जिनके परिवारजनों ने न्याय के इस संघर्ष में अपनी जान न्योछावर की, आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई.”

    इसके साथ ही सोनिया गांधी ने कहा है कि वह उम्मीद करती हैं कि पीएम मोदी एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करेंगे.

    उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री व बीजेपी सरकार अपना राजहठ व अहंकार छोड़कर किसान कल्याण की नीतियों को लागू करने की ओर ध्यान देंगे, MSP सुनिश्चित करेंगे व भविष्य में ऐसा कोई कदम उठाने से पहले राज्य सरकारों, किसान संगठनों और विपक्षी दलों की सहमति बनाई जाएगी.”

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  19. कृषि क़ानून वापस लेने के एलान पर क्या बोले जोगिदर सिंह उगराहां

    जोगिंदर सिंह उगराहां

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने का फ़ैसला कर लिया है.

    पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं से लेकर देश के अलग - अलग हिस्सों में किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे थे.

    देश के तमाम किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले इन क़ानूनों का विरोध कर रहे थे.

    इन संगठनों में पंजाब के किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) भी शामिल था.

    बीबीसी ने किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां से बात करके सरकार के इस फ़ैसले पर उनकी और उनके साथियों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की है.

    कृषि क़ानूनों को वापस लेने के एलान पर क्या बोले जोगिदर सिंह उगराहां

    जोगिंदर सिंह उगराहां

    देश के तमाम किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले इन क़ानूनों का विरोध कर रहे थे. इन संगठनों में पंजाब के किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) भी शामिल था.

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  20. आज का कार्टून: ये अभी से आ गया!

    कार्टून

    पीएम मोदी की कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर आज का कार्टून.

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    कार्टून

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